इस्लामाबाद : पाकिस्तान में हिंदुओं की शादी को जल्द ही अब कानूनी दर्जा मिल सकता है. शुक्रवार को 69 साल और लंबे टाल-मटोल के बाद हिंदू मैरिज बिल नेशनल असेंबली में पेश हो गया. इस बिल के पास हो जाने के बाद पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदू अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करा पाएंगे. अभी तक अल्पसंख्यक हिंदुओं को रजिस्ट्रेशन के नाम पर शादी के तस्वीरों से काम चलाना पड़ता है. वहीं, सेक्युलर सिंध फोरम ने हिंदू मैरिज बिल को किडनैपिंग और कन्वर्जन का लाइसेंस बताया है.
पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में हिंदू मैरिज बिल 2016 पर लॉ एंड जस्टिस की स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट को बुधवार को पेश किया गया. अब उम्मीद की जा रही है पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की मंजूरी जल्द मिलते ही ये बिल काननू बन जाएगा. वैसे पाकिस्तान की नवाज़ शरीफ वाली सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज इस बिल के समर्थन में है. ऐसे में इस बिल का असेंबली में पास होना लगभग तय है.
इस बिल को पाकिस्तान नेशनल असेंबली में प्रमुखता से लाने वालों में से एक और पाकिस्तान नेशनल असेंबली के सदस्य (एमएनए) रमेश लाल ने ‘आजतक’ से खास बातचीत में बताया, ’69 साल तक जो काम न हो सका वह अब हो पायेगा. इस बिल को स्टैंडिंग कमिटी की मंजूरी मिलने में तकरीबन 10 महीने लग गए और फिर इसके छह महीने बाद कमिटी ने इस पर अपनी रिपोर्ट को बुधवार को असेंबली में पेश किया. साथ ही इस बिल को असेंबली में लाने के बाद लंबी चर्चा और बहस हुई. इसमें मुझे आधी सफलता मिली है, लेकिन कुछ नहीं होने से अच्छा है की कुछ हुआ है और कम से कम मैरिज रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस स्टार्ट होगा.’ गौरतलब है कि स्टैंडिंग कमिटी ने हिंदू मैरिज बिल 2016 को आठ फरवरी 2016 को अपनी मंजूरी दी थी.
इस बिल में यह कहा गया है कि हिंदुओं की शादी पंडित करवाएंगे, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन उसे रजिस्ट्रार के पास ही कराना होगा. स्टैंडिंग कमिटी ने शादी के लिए लड़के और लड़की की उम्र कम से कम 18 साल रखने पर सहमति दे दी है. शादी के बाद लड़का और लड़की चाहे तो आपसी सहमति से अलग हो सकते हैं, लेकिन उसके लिए अदालत से मंजूरी लेनी होगी. अगर बाद में समझौता हो जाने की स्थिति में साथ रहने के लिए दोबारा शादी की जरूरत नहीं होगी.
‘किडनैपिंग और कन्वर्जन का लाइसेंस है हिंदू मैरिज बिल’
कमिटी ने इस बिल में इस बात की भी मंजूरी दे दी है कि अगर शादी के बाद हिंदू लड़का या लड़की धर्म परिवर्तन कर ले, तो उनकी शादी अपने आप खत्म हो जाएगी. पाकिस्तानी हिंदुओं ने इस बात पर ऐतराज जताया है. सेक्युलर सिंध फोरम के चेयरमैन राजकुमार ने बताया, ‘ये हिंदू मैरिज बिल किडनैपिंग और कन्वर्जन का लाइसेंस है. इस बिल से किडनैपिंग और कन्वर्जन के मामले बढ़ेंगे. इस बिल से पाकिस्तानी हिंदुओं को बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा.’
इस बिल पर पाकिस्तान के ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट असद चांडियो ने कहा, ‘इस बिल के तहत किडनैंपिंग को कानूनन जामा पहनाने की कोशिश की जा रही है. मज़हबी मौलाना शिरानी जैसे लोगों ने ऐसा कानून बनाया है, जिसके तहत अगर कोई अपना धर्म बदलता है, तो इस हालात में उस व्यक्ति का उसके मां-बाप, बच्चे, पति, बीवी से कोई रिश्ता नहीं रह जाएगा.’ वहीं, एमएनए डॉक्टर रमेश लाल के मुताबिक, इस बिल में लड़के-लड़कियों की सुरक्षा का पूरा-पूरा ख्याल रखा गया है.
पाकिस्तान में हिंदुओं की शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से उन्हें पहचान पत्र, पासपोर्ट, डोमिसाइल वैगरह के वसूल और यात्रा के दौरान शादी-शुदा हिंदू जोड़ों को पुलिस तंग करती है. शादी के बाद हिंदू जोड़े अगर कहीं घूमने जाते हैं या होटल में रूकते हैं, तो उनसे कानूनी दस्तावेज मांगे जाते हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत तब आती है, जब किसी शादी-शुदा लड़की का अपहरण हो जाता है और उसके एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस उसके पति से ही सबूत लाने को कहती है.