पाक सरकार ने हिन्दू लड़कियों के धर्मांतरण की जांच के लिए आयोग गठित किया

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सिंध प्रांत में दो नाबालिग हिन्दू लड़कियों के कथित अपहरण, जबरन धर्मांतरण और विवाह के मामले की जांच के लिए मंगलवार को पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया। इस घटना को लेकर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश अतहर मीनाल्लाह की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने दो बहनों रीना एवं रवीना तथा उनके कथित पतियों सफदर अली और बरकत अली द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में उन्होंने सुरक्षा की मांग की है। लड़कियों ने याचिका में दावा किया कि वे सिंध के घोटकी के एक हिन्दू परिवार की सदस्य हैं लेकिन उन्होंने जानबूझकर धर्मांतरण किया क्योंकि वे इस्लाम धर्म की शिक्षा से प्रभावित हैं। लड़कियों के अभिभावकों के वकील ने हालांकि कहा कि यह जबरन धर्मांतरण का मामला है।

जांच कराना सरकार का काम
न्यायमूर्ति मीनाल्लाह ने इस मामले को सुलझाने के लिए सिफारिशें मांगी हैं।  उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच की जरूरत है। जांच करना न्यायपालिका का नहीं बल्कि सरकार का काम है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को सुनिश्चित करना है कि कोई जबरन धर्मांतरण नहीं हो। पीठ ने इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया।

उम्र पता करने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन
मुख्य न्यायाधीश मीनाल्लाह ने लड़कियों की उम्र पता करने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने मेडिकल बोर्ड को 11 अप्रैल को अगली सुनवाई पर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया। लड़कियों के पिता ने सोमवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर करके दोनों बहनों की सटीक उम्र का पता करने के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन की मांग की थी।

पहले भी आई थी मेडिकल रिपोर्ट
इससे पहले, पाकिस्तान आयुर्विज्ञान संस्थान ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट में कहा कि विवाह के समय लड़कियां नाबालिग नहीं थीं। इस रिपोर्ट को लड़कियों के परिवार और हिन्दू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के विपक्षी सांसद दर्शन पुंशी ने खारिज किया था। पिता ने अदालत से इस बात की जांच करने को भी कहा कि कहीं लड़कियां ‘स्टॉकहोम सिंड्रोम’ की शिकार तो नहीं जिसमें पीड़ित को अपहर्ताओं पर भरोसा या लगाव पैदा हो जाता है।

आयोग में यह शामिल
आयोग में केंद्रीय मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी, राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख खावर मुमताज, पाकिस्तान मानवाधिकार आयेाग के प्रमुख मेहदी हसन, वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता आईए रहमान तथा चर्चित इस्लामी शिक्षाविद मुफ्ती ताकी उस्मानी शामिल हैं। केंद्र सरकार को आयोग की बैठकें आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई है।

वीडियो वायरल होने पर सामने आया था मामला
यह घटना उस समय प्रकाश में आई थी जब ऑनलाइन एक वीडियो में किशोरियों के पिता और भाई को यह दावा करते हुए दिखाया गया था कि लड़कियों का अपहरण कर लिया गया है और उनका जबरन धर्मांतरण कराया गया है। इसके बाद आए एक अन्य वीडियो में दो लड़कियों ने दावा किया कि उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया है।

इमरान खान ने जांच के आदेश दिए थे
इस मामले में बवाल मचने पर, प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिंध और पंजाब सरकारों से इस मामले की जांच करने को कहा था। सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने घोटकी में जबरन धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं पर संज्ञान लिया। वह इस समस्या का समाधान निकालने में सरकार की नाकामी से नाराज दिखे। उन्होंने कहा, ‘इस तरह की घटनाएं सिंध प्रांत के एक ही जिले में बार-बार क्यों हो रही हैं?’ इसके बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई 11 अप्रैल तक स्थगित की।