रमजान के महीने को नेकियों का मौसम-ए-बहार कहा गया है. जानें इस मौका-ए-खास के बारे में कुछ बातें…
1. सोमवार को चांद दिखने के साथ ही रमजान का पवित्र माह 7 जून से शुरू हो गया है. बरकतों के इस महीने के खत्म होने पर ईद-उल-फित्र का त्योहार मनाया जाएगा. इस पूरे माह मुस्लिम धर्मावलंबी रोजा, नमाजों, तरावीह, कुरान की तिलावत (पढ़ना) की पाबंदी करेंगे.
2. रमजान के महीने को और तीन हिस्सों में बांटा गया है. हर हिस्से में दस-दस दिन आते हैं. हर दस दिन के हिस्से को ‘अशरा’ कहते हैं जिसका मतलब अरबी में 10 है. इस तरह इसी महीने में आसमान से पूरी कुरान उतरी, जो इस्लाम की पाक किताब है.
3. कुरान के दूसरे पारे की आयत 183 में रोजा रखना हर मुसलमान के लिए जरूरी बताया गया है. रोजा सिर्फ भूखे, प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि गलत कामों से बचना है. इसका मतलब हमें खुद को शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से नियंत्रण में रखना है.
4. इस मुबारक महीने में किसी तरह के झगड़े या गुस्से से ना सिर्फ मना किया गया है बल्कि किसी से गिला-शिकवा है तो उससे माफी मांग कर समाज में एकता कायम करने की सलाह दी गई है.
5. इसके साथ एक तय रकम या सामान जकात के तौर पर गरीबों में बांटना जरूरी बताया गया है जो समाज के लिए बहुत ही मददगार है.
6. रोजा के महीने में किसी भी तरह का नशा करना हराम है. इसके लिए सख्त पाबंदी है.
7. रोजा के दौरान किसी भी स्त्री को गलत नजर से नहीं देख सकते, यहां तक कि अपनी बीवी को भी.
8. वैसे तो झूठ बोलना यूं भी गलत है पर रमजान के महीने में झूठ बोलना, रिश्वत लेना या कोई भी गलत काम करने की सख्त मनाही है. इसे एक अभ्यास की तरह ले सकते हैं ताकि इंसान इस एक महीने के बाद साल भर कुछ भी गलत करने से बचने की कोशिश करे.
9. इस पाक महीने के 30 दिन खत्म होने के बाद ईद का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.