रायपुर.तकलीफों और गरीबी से जूझ रहे रायपुर मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट भरत साहू ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने और अपने परिवार की मदद करने के लिए पान के ठेले पर काम किया। 2016 में एमबीबीएस की डिग्री मिलने के बाद भरत फिलहाल इंटर्नशिप कर रहे हैं।
पान ठेला चलाने वाला कैसे बना डॉक्टर…
आज भी पान ठेले से चलता है पूरा परिवार
भरत का परिवार बिलासपुर में जूना के गांधी चौक मोहल्ले में रहता है।
फैमिली में माता-पिता के अलावा दो बड़े भाई हैं। तंगी के कारण बड़े भाइयों ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की, लेकिन सबसे छोटे भरत ने अपने परिवार की दिक्कतों को दूर करने डॉक्टर बनने की ठानी।
साल 2011 में बेहतर रैंकिंग के साथ पीएमटी पास करने के बाद भरत को रायपुर मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिला।
पांच साल तक डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद भरत को 29 मार्च 2016 को एमबीबीएस की डिग्री मिल गई।
इसी के साथ पान ठेला चलाने वाला यह युवक डॉक्टर बन गया।
आज भी पूरा परिवार एक पान की दुकान पर डिपेंडेंट है। भरत के डॉक्टर बनने के बाद परिवार में अब खुशहाली लौटने की उम्मीद है।
पिता ने बढ़ाया हौसला, वार्ड ब्वाय की नौकरी छुड़वाई
भरत ने स्कॉलरशिप लेकर 10वीं और 12 वीं की पढ़ाई की। बायोलॉजी से 12वीं में स्टेट टॉपर होने के बाद उसे वार्ड ब्वाॅय की नौकरी मिल गई।
भरत ने इसी नौकरी से अपने परिवार के हालात बेहतर बनाना चाहते थे। लेकिन पिता जनक राम साहू ने उन्हें पीएमटी एग्जाम में बैठने के लिए कहा।
पिता के कहने के बाद भरत ने पीएमटी की तैयारी शुरू की और पास भी हुए।
सोर्स – ebharat.asia