पारलीमानी पैनल ने लोक पाल पर अपनी रिपोर्ट पार्लीमैंट में पेश कर दी है। बिल की मंज़ूरी पर यक़ीन करने या ना करने के दरमयान एक नया तनाज़ा पैदा हुआ है कि कांग्रेस लोक पाल को एक दस्तूरी मौक़िफ़ देना चाहती है जिस का मतलब बाक़ौल अना हज़ारे ये एक ताख़ीर से काम करने का हर्बा है।
इंसिदाद रिश्वत सतानी के लिए मौजूदा क़वानीन को भी कमज़ोर करने के लिए कांग्रेस लोक पाल बल को दस्तूरी अथॉरीटी देना चाहती है। बल के ताल्लुक़ से पहले ही कई मुबाहिस हुए हैं। ये मसला भी ज़ेर-ए-ग़ौर आया है कि लोक पाल के दायरा में वज़ीर-ए-आज़म के ओहदा को शामिल किया जाय या नहीं।
पारलीमानी पैनल ने इस मौज़ू पर गरमागरम मुबाहिस किए हैं। ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के बावजूद कोई हतमी नतीजा सामने नहीं आया। पिया नल ने इस मसला को पार्लीमैंट की बेहतर शऊरी के लिए छोड़ दिया है।
अरकान-ए-पार्लीमैंट ही अपने शऊर के मुताबिक़ कोई फ़ैसला करें, अलबत्ता ग्रुप सी और डी मुलाज़मीन के मुतनाज़ा मसला पर रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि उसे सैंटर्ल वीजीलनेस कमीशन के दायरा कार में लाया जाय जबकि ये भी इस्तिदलाल है कि पहले ही सैंटर्ल वीजीलनेस कमीशन के पास दीगर धांदलियों पर नज़र रखने के लिए अमला की कमी है।
ये इदारा सारे मुल्क् के लाखों सरकारी मुलाज़मीन की रिश्वतखोरी पर किस तरह नज़र रख सकेगा। ये मौज़ू भी सैंटर्ल वीजीलनेस कमीशन में तबदीली का मुतक़ाज़ी हो सकता है। एक इदारा को मज़बूत बनाने के लिए दूसरे इदारा को कमज़ोर करदिया जाना कोई बेहतर तबदीली की तारीफ़ में नहीं आता।
इंसिदाद रिश्वत सतानी का मुआमला अपनी जगह बरक़रार रहेगा। रिश्वत के ख़िलाफ़ मुल्क गीर मुहिम चलाने वाले अना हज़ारे ने पारलीमानी पैनल की जानिब से पेश करदा लोक पाल रिपोर्ट पर शुबा ज़ाहिर किया है। पैनल की रिपोर्ट बहरहाल रिश्वत के ख़िलाफ़ जारी लड़ाई में कोई मुआविन साबित नहीं होगी।
इन का कहना गौरतलब है कि पारलीमानी पैनल की रिपोर्ट तैय्यार करने के पीछे कांग्रेस जनरल सैक्रेटरी राहुल गांधी सरगर्म हैं। मसला फिर भी यूं ही बरक़रार रहे तो इस का मतलब यही होगा कि किसी भी हीले और बहाने से अवाम को बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा है। लोक पाल के तहत कम दर्जा के ब्यूरो करेटस को लाने के मुतालिबा का भी इआदा किया जा रहा है।
पारलीमानी पैनल ने लोक पाल बल पर अपनी रिपोर्ट की तैय्यारी में भी इत्तिफ़ाक़ राय पैदा नहीं किया। इस कमेटी के 30 अरकान हैं जिन में से 2 अरकान ने किसी भी इजलास में शिरकत नहीं की और 16 ने रिपोर्ट पर अपना असबाती रद्द-ए-अमल ज़ाहिर नहीं किया लिहाज़ा इस रिपोर्ट को सिर्फ 12 अरकान की हिमायत हासिल है यानी इन में से 7 अरकान का ताल्लुक़ कांग्रेस से ही, माबाक़ी अरकान में लालू प्रसाद यादव, अमर सिंह और बी एस पी की मायावती शामिल हैं।
ये शुबा किया जा रहा है कि जब पिया नल की रिपोर्ट चंद मख़सूस क़ाइदीन तैय्यार करलीं और ख़ुद पेश भी कर दें तो इस की इफ़ादीयत का सवाल उठेगा। रिपोर्ट पर किस को कहां तक एतबार होगा, ये भी एक अहम सवाल है। लोक पाल बल के ताल्लुक़ से इंसिदाद रिश्वत सतानी के मुहिम कारों के एहतिजाज में शिद्दत के साथ ही हुकूमत के आला से आला चेहरे रिश्वत के मुआमलों मैं बेनकाब होरहे हैं। 2G अस्क़ाम में वज़ीर-ए-दाख़िला पी चिदम़्बरम के मुलव्वस होने पर अस्तीफ़ा केलिए ज़ोर दिया जा रहा है।
कर्नाटक में गै़रक़ानूनी कानकनी के लिए लाईसैंस की इजराई में वज़ीर-ए-ख़ारजा ऐस ऐम कृष्णा के मुलव्वस होने और उन के ख़िलाफ़ एफ़ आई आर दर्ज किए जाने पर अपोज़ीशन ने इन से भी इस्तीफ़ा का मुतालिबा किया है। ये तमाम मौज़ूआत एक ऐसे वक़्त गर्मी पैदा कररहे हैं जब हुकूमत को रिश्वत का ख़ातमा करने के लिए एक मज़बूत क़ानून बनाने से मुताल्लिक़ अपनी दियानतदारी का मुज़ाहरा करना है।
पार्लीमैंट के सरमाई सैशन में लोक पाल बल की मंज़ूरी की तवक़्क़ो रखने वालों ने इस शुबा का भी इज़हार किया है कि कांग्रेस ज़ेर-ए-क़ियादत हुकूमत कोई ना कोई हर्बा इख़तियार करके लोक पाल बल को एक मज़बूत क़ानून बनाने से रोक देगी। सयासी पार्टीयों ने भी पारलीमानी पैनल की पेश करदा रिपोर्ट और 22 डसमबर को ख़तन होने वाले पार्लीमैंट के सरमाई सैशन में बल की मंज़ूरी पर शुबा ज़ाहिर किया है।
पैनल की रिपोर्ट में पेश करदा सिफ़ारिशात को ग़ैर मूसिर समझने वाले अना हज़ारे टीम के अरकान ने ये वाज़िह करदिया कि जिस लोक पाल पर हुकूमत का कंट्रोल होगा, वहां उस की कारकर्दगी का अंदाज़ा कर लेना आसान होगा। लोक पाल मैं तक़र्रुत और बरतरफ़ियों का इख़तियार सिर्फ़ हुकूमत को हासिल है तो वो अपनी मर्ज़ी की मालिक होगी जहां हुकूमत की चलती है , वहां शफ़्फ़ाफ़ियत और दियानतदारी का यक़ीन करना फ़ुज़ूल होगा।
मौजूदा कई क़ानूनी इदारों पर हुकूमत का कंट्रोल है। सैंटर्ल ब्यूरो आफ़ अनोसटी गैशन (सी बी आई) हुकूमत के ज़ेर-ए-कंट्रोल काम कर रहा है। इस की कारकर्दगी किसी से पोशीदा नहीं। इस ताल्लुक़ से अक्सर इल्ज़ाम आइद होता है कि हुकूमत इस इदारा को सयासी मक़सद बरारी के लिए इस्तिमाल करती है। मुख़ालिफ़ीन को सज़ा देने उन्हें ख़ौफ़ज़दा करने के लिए सी बी आई का इस्तिमाल होता है।
क़ानूनी इदारों के बेजा इस्तिमाल की शिकायात आम हैं तो लोक पाल इदारा को हुकूमत के कंट्रोल में दिए जाने के बाद उस की भी हैसियत आम और मौजूदा क़ानूनी इदारों की तरह होगी, लिहाज़ा बरसर ख़िदमत हुक्मराँ पार्टी इस इदारा का भी बेजा इस्तिमाल करेगी।
बी जे पी ने पारलीमानी पिया नल की रिपोर्ट पर हुकूमत के एतबार और नेक नीयती पर शुबा ज़ाहिर किया है। इस से यू पी ए की अख़लाक़ी अथॉरीटी में मज़ीद पस्ती देखी जा रही है। इस रिपोर्ट के बाद फिर कहीं कमीशन खाने का मंसूबा बनेगा तो कहीं कमीशन बनाए जाने पर ग़ौर होगा। बहरहाल आइन्दा चंद दिनों में हिंदूस्तान से रिश्वत सतानी की एग्ज़िट (EXIT) का रास्ता किस तरह खुलेगा, ये हुकूमत की नीयत पर मुनहसिर होगा।