https://www.youtube.com/watch?v=gv1ysKKwvOo
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने के लिए सरकार की कोशिशों से लोहा लेने के बाद, टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने नोटबंदी पर टिप्पणियों के लिए एक अलग माध्यम चुना है।
उनका यह नया तरीका कल्पना पर आधारित है और नाम है “नोटबंदी के दौर में प्रेम कथा”।
“पार्क की बेंच खाली हैं, कॉफ़ी के मग उदास हैं और टेडी बेयर की आँखों में मैं अब और आंसू नहीं देख सकता। आशिकों से अब परफ्यूम की खुशबु नहीं बल्कि पुराने नोटों की गंध आती है।”
कुछ इस तरह दिल्ली में टाइम्स लिट् फेस्ट में रवीश कुमार ने शुरुआत की, जहाँ वे अपनी नयी किताब लप्रेक: एक लघु प्रेम कथा के ऊपर बात कर रहे थे। यह किताब उन लघु प्रेमकथाओं का संकलन है जिन्हें रवीश अपने फेसबुक पेज पर लिखा करते थे।
“मैं श्रोता को अगले एक घंटे एक प्रेम कथा सुनाने का वचन देता हूँ।” यह भारतीय मुद्रा के कागज़ के नोट पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के सन्देश का प्रेमी संस्करण है।
कैशलेस भविष्य में, प्रेमी एक दुसरे से चाँद तारे तोड़ कर लाने का वादा नहीं करेंगे, एटीएम की कतार में जगह सुरक्षित करना ही बड़ा सुबूत होगा।
“क्या हुआ अगर 500 का नोट नहीं चल रहा? इश्क के लिए 5 रूपये, 10 रूपये या 50 रूपये इस्तेमाल कीजिये, कॉफ़ी का मग नहीं तो चाय का आनंद लीजिये, ब्लडी मैरी न सही तो नारियल पानी ही सही, और अगर पेस्ट्री नहीं तो गोलगप्पे ही सही।”
पूरा विडियो यहाँ देखें:
https://www.youtube.com/watch?v=MNHuNQoxaT4
साभार: Scroll.in