तन्कीदों का जवाब देने से बचने वाले प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह शुक्रवार को अप्रत्याशित रूप से मीडिया के सामने आए और संसद के गतिरोध के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि पूरा सत्र बेकार चला गया और दोनों सदनों को काम करने नहीं दिया गया। भाजपा के शीर्ष नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए न केवल गतिरोध को जायज ठहराया बल्कि यहां तक कह दिया कि विपक्ष 2जी घोटाले की तरह देश के खजाने की लूट नहीं होने देगा।
कोयला आवंटन में अनियमितता को मुद्दा बनाकर आक्रामक तरीके से सड़क पर उतरने में जुटी भाजपा के रुख से थोड़ी परेशान कांग्रेस और सरकार बचाव में जुटी है। यही कारण था कि खुद प्रधानमंत्री ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस तरह विपक्ष ने गतिरोध पैदा किया उससे लोकतंत्र का मखौल उड़ने के साथ ही विकास अवरुद्ध होता है।
उनका कहना था कि जो लोग संसद को चलने नहीं देते, वे जनता की आवाज दबाते हैं। देश के समक्ष खड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह कैग का सम्मान करते हैं। उन्होंने यह भरोसा भी दिलाया कि कैग रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को सरकार ठंडे बस्ते में नहीं डालेगी।
भाजपा ने पलटवार करते हुए सरकार के सामने बड़ी चुनौती रख दी है। सुषमा और जेटली ने कहा, संसद चलाने के लिए विपक्ष ने सिर्फ आवंटन रद कर उसकी जांच की शर्त रखी थी, लेकिन सरकार को उससे डर है। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी उन शर्तो को स्वीकार नहीं किया।
जेटली ने कहा कि पीएमओ के पत्र स्पष्ट करते हैं कि 2005 में ही फैसले के बावजूद कानून बनाने में देरी की गई। इसकी जांच हो और उसके सामने खुद प्रधानमंत्री भी गवाही दें तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा सभी आवंटनों के लिए जांच की मांग कर रही है।
भाजपा नेता संबद्ध हों तो उसकी भी जांच हो और सत्तापक्ष की भी। संप्रग भ्रष्टाचार तंत्र को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्प लगती है। यही कारण है कि 2जी की तरह ही कोयला आवंटन पर भी परदा डालने की कोशिश हो रही है।
प्रधानमंत्री के आरोप को नकारते हुए सुषमा ने दावा किया 2जी की तर्ज पर ही आवंटन रद हो और नीलामी के जरिए इसे दिया जाए तो निजी कंपनियों की बजाय देश का खजाना भरेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोयला आवंटन पर अंतरमंत्रालयी समूह की बैठक एक धोखा है।