अदलिया (अदालत) के साथ कशीदा (तनाव पूर्ण ) ताल्लुक़ात के पस-ए-मंज़र (सन्दर्भ ) में सदर (राष्ट्रपती)-ए-पाकिस्तान आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा कि उक़बा (पिछले )दरवाज़ा से पार्लियामेंट को बरतरफ़ (सस्पेंड ) करने का दौर गुज़र गया । एक दिन क़ब्ल यूसुफ़ रज़ा गीलानी को सुप्रीम कोर्ट की जानिब से पार्लियामेंट की रुकनीयत (सदस्यता ) के लिए नाअहल (अयोग्य ) क़रार दिया गया था ।
ज़रदारी ने कहा कि लोग जानते हैं कि पार्लियामेंट और दस्तूर की बरतरी को किस तरह यक़ीनी बनाया जाय । उन्हों ने कहा कि पिछले दरवाज़ा से पार्लियामेंट बरतरफ़ (सस्पेंड ) करने का दौर खत्म होचुका है । वो दस्तूर की मुअत्तल दफ़ा 58(2B) का हवाला दे रहे थे ।
उन्हों ने कहा कि पाकिस्तानी अवाम (जनता) अस्करी (जंगजू)यत पसंदों और इंतहापसंदों की जानिब से मज़हब के नाम पर और दीगर (दुसरे) बहानों से ज़्यादतियां बर्दाश्त करते रहे हैं ।
इन का ये पैग़ाम उन की मक़्तूल शरीक हयात साबिक़ (भूत पूर्व ) वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री ) बेनज़ीर भुट्टो के 59 वें यौम पैदाइश के मौक़ा पर जारी किया गया है ।