नई दिल्ली, 17 फ़रवरी: (पी टी आई) पार्लीमेंट और रियासती मुक़न्निना जात में बार बार ख़लल अंदाज़ियों पर तशवीश ज़ाहिर करते हुए सदर जम्हूरीया परणब मुखर्जी ने आज कहा कि ये रुकावटें मामूली मसाइल पर होती हैं जिन की यकसूई की जा सकती है। ये निशानदेही करते हुए पार्लीमेंट में शोर-ओ-गुल का रुजहान बनता जा रहा है, मुखर्जी ने कहा कि ये ना सिर्फ़ वफ़ाक़ी मुक़न्निना बल्कि रियासती मुक़न्निना जात में भी देखा जा रहा है।
यहां पहले एन के पी साल्वे मेमोरियल लेक्चर देते हुए सदर जमहूरीया ने कहा कि उन्होंने इन ख़लल अंदाज़ियों के लिए इस्लाह का जायज़ा लेने की कोशिश भी की और इस दौरान पाया कि अक्सर औक़ात इख़तिलाफ़ का नुक्ता ये होता है कि पार्लीमेंट के किस क़ायदा के तहत किसी मसला पर मुबाहिस मुनाक़िद किए जाने चाहिऐं। उन्होंने कहा कि अक्सर मौक़ों पर पार्लीमेंट के किसी भी ऐवान में अपोज़ीशन लीडर इसी बुनियाद पर ऐतराज़ करता है। मुखर्जी के आज के तब्सिरे उस पस-ए-मंज़र में सामने आए हैं कि गुज़श्ता चंद माह में पार्लीमेंट में अपोज़ीशन ने बार बार कार्रवाई के इलतिवा पर मजबूर किया है।
उन्होंने कहा कि जहां तक मैं समझता हूँ इस मसला का कोई हल तलाश करना ज़्यादा मुश्किल नहीं है। मुखर्जी जो सदर जम्हूरीया बनने से क़ब्ल लोक सभा के लीडर थे, उन्होंने माज़ी में इस तरह के तात्तुल की सूरतों की यकसूई के लिए हुकूमत की तरफ़ से पेश रहते हुए काम किया था। उन्होंने निशानदेही की कि दस्तूर साज़ों ने ये नहीं सोचा कि इस तरह की बार बार ख़ललअंदाज़ी पार्लीमेंट में रुजहान की शक्ल इख्तेयार कर लेगी। इस रुकावट की इस्लाह होनी चाहीए, मुखर्जी ने इसके साथ मज़ीद कहा कि ख़लल अंदाज़ियों के सबब माली और इक्तेसादी उमूर पर मुबाहिस के इख़्तेयारात पूरी तरह इस्तेमाल नहीं होता है जो लोक सभा को हासिल होते हैं।
माज़ी को याद करते हुए कि क़ब्लअज़ीं पार्लीमानों ने पाँच साला मंसूबों पर तफ़सीली मुबाहिस किए, मुखर्जी ने कहा, मुझे याद नहीं पड़ता कि आठवीं, नौवीं और दसवीं मंसूबों पर ऐवान में मुबाहिस हुए हैं। पार्लीमेंट में इक्तेसादी मासल पर संजीदा मुबाहिस की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुखर्जी ने कहा कि ऐवान को किसी मसला पर सी ए जी रिपोर्ट का इंतेज़ार करने की ज़रूरत नहीं कि वो ख़ामीयों की निशानदेही करे और तब ही इस मुआमला पर बहस की जाये। उन्होंने कहा कि सी ए जी का रोल तब ही शुरू होता है जब इक्तेसादी उमूर में बे क़ाईदगीयाँ होती हैं। सदर जम्हूरीया ने उनके पी साल्वे के पार्लीमेंट के लिए लोक सभा और बाद में राज्य सभा दोनों के रुकन की हैसियत से रोल को याद किया।