पार्लीयामेंट की हतक‍ व तौहीन

मुल्क में करप्शन के ख़िलाफ़ जद्द-ओ-जहद का आग़ाज़ करते हुए अन्ना हज़ारे और इन के साथी ज़बरदस्त शोहरत हासिल कर चुके हैं। मुल्क के अवाम करप्शन और बदउनवानीयों से इतने बेज़ार आ चुके हैं कि इन्हों ने करप्शन के ख़िलाफ़ उठने वाली हर आवाज़ की ताईद-ओ-हिमायत को अपना फ़रीज़ा बना लिया है ।

यही वजह है कि जब अन्ना हज़ारे ने मुल्क में करप्शन के ख़ातमा और लोक पाल के क़ियाम के लिए जद्द-ओ-जहद का आग़ाज़ किया तो हर गोशा की तवक़्क़ुआत से कहीं ज़्यादा बढ़ चढ़ कर मुल्क के अवाम ने उन की जद्द-ओ-जहद का साथ दिया और उन की ताईद में सारे मुल्क में जो मुज़ाहिरे किए गए और करप्शन के ख़ातमा के लिए जिस अज़म का इज़हार किया गया इसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है ।

आज़ाद हिंदूस्तान की तारीख में ऐसी जद्द-ओ-जहद की मिसाल शायद ही कोई मिल पाए । रातों रात अन्ना हज़ारे और इन के साथियों को हिंदूस्तानी अवाम अपना मसीहा समझने लगे और इनकी हर आवाज़ में आवाज़ मिलाने तैयार हो गए ।

अन्ना हज़ारे की भूक हड़ताल हो या इन के दीगर एहतिजाजी प्रोग्राम्स हों सभी में मुल्क के अवाम ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । अवाम का जो रद्द-ए-अमल था वो यक़ीनन ख़ुद अन्ना हज़ारे की तवक़्क़ुआत से भी कहीं बढ़ कर था । इन की इस जद्द-ओ-जहद को देखते हुए समाज के कोई गोशे उन के साथ हो गए और कई ऐसे अफ़राद इन का साथ देने आमादा हो गए जो ख़ुद करप्शन को ख़तम करना चाहते हैं।

उन्हें में टीम अना के तमाम अरकान शामिल हैं । टीम के अरकान में यक़ीनी तौर पर सुलझे हुए अफ़राद भी शामिल हैं जिन की नेक नीति पर कोई शक नहीं किया जा सकता । लेकिन महज़ एक अच्छे काम और नेक नीति के इव्ज़ पारलीमानी जम्हूरियत के आली तरीन पॉलीसी साज़ इदारा ऐवान पार्लीयामेंट की हतक और तौहीन नहीं की जा सकती ।

किसी भी जद्द-ओ-जहद के चाहे कोई भी मक़ासिद हों और ये मक़ासिद कितने ही आली और बुलंद क्यों ना हों लेकिन ये पार्लीयामेंट से बुलंद नहीं हो सकते और ना पार्लीयामेंट पर उन्हें तरजीह दी जा सकती है । पार्लीयामेंट का एहतेराम पारलीमानी जम्हूरियत में लाज़िमी होता है और इस हक़ीक़त का सभी को एतराफ़ भी है लेकिन टीम अन्ना के अरकान शायद अब ख़ुद को पार्लीयामेंट से भी बालातर समझने लगे हैं इसीलिए वो उसे ख़ातिर में नहीं ला रहे हैं और शायद वो पार्लीयामेंट को ख़ातिर में लाना ही नहीं चाहते ।

मुजरिमाना पस-ए-मंज़र रखने वाले अरकान की पार्लीयामेंट में मौजूदगी की बुनियाद पर पार्लीयामेंट के एहतेराम से गुरेज़ का कोई जवाज़ नहीं हो सकता । ये दुरुस्त है कि कसीर तादाद में उसे अरकान पार्लीयामेंट में जमा हो गए हैं जिन का पस-ए-मंज़र मुजरिमाना है यह जिनके ख़िलाफ़ फ़ौजदारी मुक़द्दमात भी दर्ज हैं। लेकिन इसकी बुनियाद पर ऐवान की हतक का कोई जवाज़ नहीं हो सकता ।

जहां तक लोक पाल के क़ियाम का सवाल है इस ताल्लुक़ से भी ये हक़ीक़त है और सभी को कुबूल करनी चाहीए कि चाहे लोक पाल हो या किसी और क़ानून की तैयारी का मसला हो ये सारा कुछ पार्लीयामेंट के ऐवानों ही में किया जा सकता है ।

क़ानूनसाज़ी सारे मुल्क के अवाम को एक मैदान में जमा करके एहतिजाज करने से भी मुम्किन नहीं हो सकती । अवामी दबाव यक़ीनी तौर पर हुकूमतों को इन के मुतालिबात तस्लीम करने पर मजबूर कर सकता है लेकिन इसका भी एक मुरव्वजा तरीका है । अवाम की कसीर तादाद को जमा करते हुए अपने मक़ासिद की तकमील के लिए उन्हें इस्तेमाल करना या फिर हुकूमत को अपने इशारों पर नाचने के लिए मजबूर करना पारलीमानी जम्हूरियत के उसूलों और इसके इक़दार के यकसर मुग़ाइर है ।

पार्लीयामेंट वो इदारा है जहां मुल्क और क़ौम की क़िस्मतों के फैसले होते हैं। यहां क़ानूनसाज़ी होती है और पहले से मौजूदा क़वानीन में अगर कुछ खामियां हो तो उन्हें दूर करने के लिए तरामीम मंज़ूर की जाती है ।

अब जब लोक पाल की तश्कील का मसला दरपेश है तो इसके लिए भी क़ानूनसाज़ी इसी पार्लीयामेंट में होनी है जिस में बाक़ौल टीम अन्ना के मुजरिमाना पस-ए-मंज़र रखने वाले अफ़राद कसीर तादाद में जमा हो गए हैं ।

इन अरकान की मौजूदगी से ऐवान का एहतेराम या इसके वक़ार यह इसके इख़्तेयारात में किसी तरह की कमी का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता और जिस क़ानून का अन्ना हज़ारे और इनके साथी मुतालिबा कर रहे हैं वो ख़ुद भी इसी ऐवान में बनना है जिसका अमल शुरू हो चुका है ।

लोक पाल की तश्कील पर हुकूमत के अज़ाइम यह इरादों पर सवाल करने का टीम अन्ना को और मुल्क के सभी अवाम को कामिल इख्तेयार है इसमें ताख़ीर को टालने के लिए यक़ीनी तौर पर हुकूमत पर दबाव डाला जा सकता है लेकिन पार्लीयामेंट की हतक और एहतेराम से गुरेज़ काबिल‍ ए‍ कुबूल नहीं हो सकता।

एक नासूर बनते हुए मसला को ख़तम करने अवाम की ताईद हासिल हो जाने को एवान की हतक का लाईसेंस नहीं कहा जा सकता । ये वही पार्लीयामेंट है और ये वही अरकान पार्लीयामेंट हैं जिन्हें इसी मुल्क के अवाम ने अपने वोट के ज़रीया एवान को रवाना किया है ।

अवाम को इन नुमाइंदों को आइन्दा इंतेख़ाबात में एवान से बाहर करने का भी इख्तेयार हासिल है और इस इख्तेयार के इस्तेमाल से इन्हें कोई ताक़त रोक नहीं सकती । टीम अन्ना के अरकान को भी इस हक़ीक़त को समझते हुए अवाम से रुजू होना और पार्लीयामेंट की हतक से बाज़ रहना चाहीए ।