नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस बात पर खूब चर्चा किया कि जितनी भी रकम की जरूरत होगी केंद्रीय बैंक उसकी आपूर्ति करने में सक्षम होगा. लेकिन वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को इस बात की जानकारी नहीं दी कि नोटबंदी के बाद प्रभावित हुई बैंकिंग व्यवस्था कब तक सामान्य हो जाएगी, पटेल ने समिति को बताया कि नई करेंसी में 9.23 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में डाले जा चुके हैं. उनहोंने सनसनीखेज खुलासा करते हुए संसदीय समिति को यह भी बताया कि नोटबंदी पर चर्चा पिछले साल जनवरी से ही जारी थी.
एनडीटीवी के हवाले, आरबीआई गवर्नर के ऊपर सरकार का इतना दबाव है जिससे वे तिलमिला जाते हैं. बता दें कि गवर्नर का अभी का बयान और समिति को पहले दिए गए उस लिखित बयान में काफी अंतर है. जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को प्रचलन से हटाने की घोषणा से सिर्फ एक दिन पहले 7 नवंबर को सरकार ने आरबीआई को बड़े नोटों को रद्द करने की सलाह दी थी. पटेल ने समिति को यह नहीं बताया कि प्रतिबंधित नोटों में से कितने बैंकों में वापस आ चुके हैं.
कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली के नेतृत्व वाली वित्तीय मामलों पर संसद की स्थायी समिति को उर्जित पटेल ने बताया कि जनवरी, 2014 में 1000 रुपये के नोटों की एक सीरीज को आंशिक रूप से वापस ले लिया था. सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी भी समिति के सामने पेश हुए, लेकिन उन्होंने सांसदों के उस सवाल का जवाब नहीं दिया कि नोटबंदी के बाद प्रतिबंधित नोटों में कितनी रकम बैंकों में जमा हुई.