पिछले साल विश्व स्तर पर 8.6 मिलियन लोग बेघर हुए: रिपोर्ट

एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल यमन, सीरिया और इराक में जारी युद्ध के कारण लगभग 4.6 लाख लोग बेघर हुए जबकि समग्र सन 2015 में बेघर होने वालों की संख्या 8.6 मिलयन रही।

नार्वेजियन शरणार्थी परिषद (NRC) और इंटरनल डिस्प्लेसमेंट निगरानी केंद्र (IDMC) की ओर से बुधवार ग्यारह मई को जारी किये गए एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि यमन, सीरिया और इराक में बेघर होने वालों की दर विश्व स्तर परबेघर हुए लोगों के आधे से भी अधिक है। 2015 में यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व में क्वेलेशन की होसी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई के परिणामस्वरूप 2.2 लाख लोग बेघर हो गए। शाम में मार्च सन 2011 से गृह युद्ध जारी है और वहाँ पिछले साल 13 लाख लोग विस्थापित हुए जबकि इराक में भी अशांति के कारण 1.1 मिलियन शहरी बेघर हुए। गौरतलब है कि विस्थापित लोगों की कुल संख्या में वे लोग शामिल नहीं हैं, जिन्होंने विदेशों में शरण ली है।

नार्वेजियन शरणार्थी परिषद के महासचिव जनरल जान एग्लेंड के अनुसार अब दुनिया भर में सशस्त्र संघर्ष के परिणामस्वरूप बेघर लोगों की कुल संख्या लगभग 40.8 लाख हो गई है। उन्होंने कहा, ” यह मानव इतिहास में बेघर लोगों की सबसे ज़्यादा और विश्व स्तर पर मौजूद शरणार्थियों की दो गुना संख्या है। ”

मध्य पूर्व में एन आर सी के क्षेत्रीय निदेशक कारसटन हानसन ने बताया है कि इस समय दुनिया का ध्यान मध्य पूर्व से अन्य क्षेत्रों की ओर यात्रा करने वाले प्रवासियों मपर टिकी है जबकि इसी दौरान मध्य पूर्व क्षेत्र के अंदर भी कई लाख लोग बेघर हो चुके हैं। उनके अनुसार इस क्षेत्र में नए विस्थापित लोगों की संख्या दुनिया भर में बेघर होने वालों की कुल संख्या से भी अधिक है। हानसन ने आगे कहा कि, ” आर्थिक रूप से समृद्ध और स्थिर देशों को शरणार्थियों को अपनी सीमाओं से दूर रखने और उन्हें राजनीतिक शरण न देने की योजनाएं बनाने में व्यस्त हैं, जबकि इसी दौरान कई लाख लोग अपने ही देशों में फंस चुके हैं और मौत उनके सामने खड़ी है। ”

नार्वेजियन शरणार्थी परिषद (NRC) और इंटरनल डिस्प्लेसमेंट निगरानी केंद्र (IDMC) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल यमन के लिए बदतरीन साल था जहां बेघर होने वालों की दर विश्व स्तर पर विस्थापित होने वालों की पच्चीस प्रतिशत बनती है। रिपोर्ट के अनुसार सन 2014 से यमन में सन 2015 में बीस गुना अधिक लोग विस्थापित हुए।

वैश्विक संस्थानों की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जैसे जैसे यह सशस्त्र संघर्ष अधिक गंभीर होते जा रहे हैं, वैश्विक बेघर लोगों को अपने घरों को लौटने की उम्मीद भी खत्म होती जा रही है।