पट्टी: 46 साल के मुख्तियार पंजाब पावर डिपार्टमेंट में लाइनमैन के पद पर कार्यरत हैं जो कि ड्रग्स के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. बीते मार्च में उन्होंने अपने 28 साल के बेटे मंजीत को खो दिया. जो कि ड्रग्स का आदी था और इसी से उसकी जान चली गई. उसने बेटे की लाश को लेकर पट्टी की गलियों में मार्च किया और फिर एसडीएम ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गया. जब उसे लगा कि उसकी नहीं सुनी जाएगी तो उसने पीएम मोदी को जवान बेटे का कफन पर अपनी दुख भरी दास्तां लिखी और एसडीएम ऑफिस में इसे दे दिया ताकि ये पीएम तक पहुंच जाए.
अमर उजाला के मुताबिक, मुख्तियार कहते हैं मैंने पीएम साहब से दरख्वास्त की है कि वो पंजाब को ड्रग्स से बचाने के लिए हस्तक्षेप करें. मैंने पंजाब सरकार को भी इसकी शिकायत की है क्योंकि यह सरकार ने ड्रग्स पर पाबंदी के लिए कदम नहीं उठाए. ये अकाली नेता सब जानते हैं लेकिन कुछ नहीं करते. मैं कोई नेता नहीं हूं, मैं एक बाप हूं जो जवान बेटे की लाश को श्मसान ले गया और मैं नहीं चाहता किसी और बाप को ये दिन देखना पड़े.
मुख्तियार कहते हैं कि पता नहीं मेरी कफन पर लिखी चिट्ठी मोदी तक पहुंचेगी या नहीं. मैंने इसे एसडीएम को दिया और उन्होंने कहा कि वो इसे डीजीपी को पहुंचा देंगे.
28 जून को मैंने आरटीआई के जरिए पूछा तो बताया गया कि चिट्ठी वाला कफन डीजीपी तक पहुंच गया है. अब मुझे नहीं पता कि कफन को कहीं फेंक दिया जाएगा या मेरी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचने दी जाएगी.
वहीँ मुख्तियार ने पंजाब विधानसभा के चुनावों में प्रचार के लिए मुख्तियार सिंह ने चुनाव आयोग से इजाजत मांगी है कि वो किसी पार्टी के या अपने लिए नहीं बल्कि ड्रग्स के खिलाफ प्रचार करना चाहते हैं. उनका कहना है कि ”चुनावों में ड्रग्स आसानी से मिल रही है लेकिन मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि इसके नुकसान क्या हैं. मैं बेटे की लाश लेकर इसीलिए पट्टी की गलियों में घूमा था ताकि लोग ड्रग्स की भयावता समझ सकें.