इशरत जहां फर्जी एन्काउन्टर मामले में पिछले कई दिनों से गिरफ्तारी के डर से भाग रहे आईपीएस अफ्सर पी.पी. पांडे आखिरकार मंगलवार को सीबीआई कोर्ट में पेश हो गए।
उन्होंने अहमदाबाद की मिर्जापुर में वाके सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया। पांडे के कोर्ट पहुंचते ही कोर्ट संकुल में मीडिया का जमावड़ा हो गया। पांडे की सरेंडर के बाद अब यह चर्चा जोरों पर है कि इशरत जहां और उसके साथियों के एनकाउंटर मामले में कोई बड़ा खुलासा हो सकता है।
वाजेह रहे कि सोमवार को हाई कोर्ट ने पांडे की पेशगी जमानत की दरखासत ठुकरा दी थी। इसलिए उनके पास सरेंडर के अलावा कोई दुसरा कानूनी रास्ता नहीं बचा था। वह निचली अदालत और गुजरात हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। तीन जुलाई को पेस आरोप पत्र में सीबीआई ने पांडे को मास्टर माइंड और भगोड़ा मुजरीम बताया है। अदालत ने जांच एजेंसी की गुहार पर 21 जून-13 को पांडे को फरार जाहीर कर दिया था।
पहले आईपीएस, जिन्होंने अपनाए सभी रास्तें
गुजरात पुलिस महकमे के पांच से छह आईपीएस एनकाउंटर मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। इनमें से पीपी पांडे अकेले ऐसे अफसर हैं जिन्होंने शिकंजा कसने से पहले तक सभी मौजुद कानूनी रास्तों को अपनाया। 25 अप्रैल से 12 अगस्त की अवधि में पांडे ने दो बार शिकायत रद्द करने तथा तीन बार और जमानत के लिए अलग-अलग अदालत में गुहार लगाई। इस दौरान कम से कम (29 जुलाई से छह अगस्त) के लिए वह राहत पाने में कामयाब भी रहे।
आईपीएस जी एल सिंघल भी इस मामले में मुलजीम हैं लेकिन उन्हें जमानत मिल गई है। आईपीएस डी जी वंजारा, राजकुमार पांडियन एवं डॉ. विपुल अग्रवाल और अभय चूडास्मा कारावास में हैं।