गरीबों के लिए दो वक़्त की रोटी बहुत अहमियत रखती है और इस के हुसूल की ख़ातिर वो सख़्त से सख़्त मेहनत करने के लिएतय्यार होजाते हैं । अपने और अपने मासूम बच्चों का पेट भरने और फ़ाक़ा कशी से बचने के लिए गरीब पहाड़ को तोड़ कर छोटे छोटे पत्थरों में तब्दील करने से भी गुरेज़ नहीं करता ।
एसा ही कुछ हाल गरीबों का निज़ाम तक़सीम आम्मा पर अमल आवरी का ज़रीया बनी राशन शॉप्स पर पहूंचने पर होता है ।अवाम की शिकायत है कि शाप मालेकीन दुकानात पाबंदी से और वक़्त पर नहीं खोलते । एक बेवा ख़ातून ने हमें बताया कि वो बाज़ार से चावल खरीदने की मुतहम्मिल नहीं इस लिये इस का सारा इन्हिसार राशन शाप से हासिल होने वाले 15 किलो चावल पर होता है ।
अगर उसे चावल नहीं मिला तो फ़ाक़ाकशी की नौबत आजाती है । इसी लिये वो महीना शुरू होते ही राशन शाप पहूंच जाती है ताकि राशन शाप मालिक स्टाक ना होने का बहाना ना करसके । मिस्री गंज की रहने वाली शमीम बानो ने बताया कि मासूम बच्चों को गोद में लिये घंटों क़तार में खड़े रहना पड़ता है जब कि राशन शाप मालिक इंतिहाई हैवानी अंदाज़ में झिड़कियां देता रहता है अब तो उस की झिड़कियां सुनने की आदत सी होगई है ।
शमीम बानो का कहना है कि राशन शाप मालिक इस तरह झिड़कियां देता है जैसे वो अनाज अपने घर से और मुफ़्त दे रहा हो । दूध बाउली के ग़ौस पाशा के मुताबिक़ उन के मुहल्ला की राशन शाप का मालिक कोई चीज़ बराबर नहीं देता । नाप तोल में भी गड़बड़ी करता है चूँकि वो इलाक़ा का बाअसर शख़्स है इस लिये लोग जो दिया जैसे दिया लेकर ख़ामोश होजाते हैं ।
बताया जाता है कि इस राशन शाप का मालिक मुहल्ला में जिम चलाता है । का माटी पूरा में रहने वाले एक गरीब शख़्स ख़्वाजा मियां ने इंतिहाई रूँधी हुई आवाज़ में कहा साहब आख़िर ये कब तक चलेगा । हमारा क़सूर किया है ? क्या गरीब होना जुर्म है ? आख़िर गरीबों के इन दुश्मनों को पूछने वाला कोई है ?
ख़्वाजा मियां के इन सवालों का हम कोई जवाब ना दे सके लेकिन सोचने लगे कि एक गरीब के इन तल्ख़ सवालात का जवाब हुकूमत को देना पडेगा । हुकूमत मुहल्ला वारी सतह पर राशन शॉप्स क्यों नहीं खोलती इस से अवाम को सहूलत होगी । अवाम ने बताया कि राशन शाप मालेकीन मनमानी करते हैं ।
दुकानात के बाहर दुकान खोलने और बंद करने के औक़ात के बोर्डस तक नहीं लगाते उन लोगों के बारे में ये भी शिकायत आम है कि वो अनाज की ज़ख़ीरा अंदोज़ी करते हुए उस की ब्लैक मार्केटिंग करते हैं और अपने पेट हराम कमाई से भर लेते हैं ।
बहरहाल हुकूमत को गरीब अवाम की इन शिकायात पर तवज्जा देने की ज़रूरत है ।।