पुराने शहर की तरक़्क़ी के वाअदे सिर्फ़ काग़ज़ी कार्रवाई तक महदूद

हुकूमत की जानिब से पुराने शहर के ताल्लुक़ से किए जाने वाले एलानात सिर्फ़ काग़ज़ी कार्यवाईयों की हद तक ही महदूद हुआ करते हैं। हुकूमत की जानिब से पुराने शहर की तरक़्क़ी के लिए मुतअद्दिद इक़दामात के एलानात और तरक़्क़ियाती काम तो शुरू किए जाते हैं, लेकिन बरसहा बरस गुज़रने के बावजूद भी वो तरक़्क़ियाती काम पाए तकमील को नहीं पहुंचते जिस की वजह से पुराने शहर की तेज़ रफ़्तार तरक़्क़ी यक़ीनी नहीं बनाई जा सकती।

साबिक़ा रियासत आंध्र प्रदेश के चीफ मिनिस्टर मिस्टर एन किरण कुमार रेड्डी के दौरे इक्तेदार में साल 2011 के दौरान उन्हों ने पुराने शहर का दौरा करते हुए हल्क़ा असेंबली चंदरायन गुट्टा के इलाक़ा बारकस में रियासत की पहली ई – लाइब्रेरी का संगे बुनियाद रखते हुए 50 लाख रुपये की मंज़ूरी का एलान किया था।

इसी तरह इस ई – लाइब्रेरी के मुताल्लिक़ ये एलान किया गया था कि मज़कूरा ई – लाइब्रेरी अपने तामीरी मराहिल की तकमील के बाद 24 घंटे ख़िदमात अंजाम देगी ताकि पुराने शहर के तलबा और तालिबात को फ़ायदा हासिल हो सके।

ई – लाइब्रेरी के जल्द अज़ जल्द आग़ाज़ की सूरत में पुराने शहर के नौजवानों बिलख़ुसूस तलबा और तालिबात को काफ़ी फ़ायदा हासिल हो सकता है और वो असरी टेक्नोलॉजी के ज़रीए हुसूले इल्म को यक़ीनी बनाते हुए कम्पेटेटिव दौड़ में आगे आ सकते हैं।