पुराने शहर में कांग्रेस की ताक़त का मुज़ाहरा, मजलिस के गढ़ में दराड़

हैदराबाद: कांग्रेस पार्टी ने ग्रेटर हैदराबाद की इंतेख़ाबी मुहिम में मजलिस के गढ़ समझे जानेवाले हलक़ों में अपनी गिरिफ़त मुस्तहकम करने में कामयाबी हासिल करली है जिससे परेशान मजलिसी क़ियादत ने कांग्रेस और उनके क़ाइदीन के ख़िलाफ़ मोरचा खोल दिया है। गुज़िश्ता तक़रीबन 30 बरसों से शहर की सियासत में ये रिवायत रही कि बरसर-ए-इक्तदार जमात ने पुराने शहर के इलाक़ों पर तवज्जे नहीं दी क्योंकि मुक़ामी जमात से इसकी मुफ़ाहमत होती रही है।

इक़्तेदार में चाहे कोई पार्टी हो उसने पुराने शहर के इलाक़ों पर समझौता करते हुए दीगर इलाक़ों में मुक़ामी जमात के दाख़िले और वोटों की तक़सीम को रोकने में कामयाबी हासिल की, इसी तसलसुल के तहत कांग्रेस पार्टी भी पुराने शहर के इन इलाक़ों को भी नजरअंदाज़ करती रही जो साबिक़ में कांग्रेस के गढ़ रहे हैं।

ग्रेटर हैदराबाद बलदी इंतेख़ाबात में पहली मर्तबा कांग्रेस पार्टी ने पुराने शहर में मजलिस को चैलेंज दिया है और मुक़ामी जमात के गढ़ में दराड़ पैदा कर दी है। पुराने शहर में कांग्रेस के पूरी शिद्दत और ताक़त के साथ मुक़ाबला ने एक तरफ़ सियासी माहौल को गर्मा दिया है तो दूसरी तरफ़ मुक़ामी जमात की क़ियादत को परेशानी में मुबतला कर दिया।

कांग्रेस ने अपने पार्टी यूनिट्स को पुराने शहर में मुतहर्रिक कर दिया और मजलिस से नाराज़ क़ाइदीन को इंतेख़ाबी मैदान में उतार कर मुक़ाबले को दिलचस्प बनादिया है। सदर प्रदेश कांग्रेस उत्तम कुमार रेड्डी और क़ानूनसाज़ काउंल में क़ाइद अपोज़िशन मुहम्मद अली शब्बीर ने पुराने शहर में पार्टी की इंतिख़ाबी मुहिम की कमान सँभाल ली है।

उत्तम कुमार रेड्डी और मुहम्मद अली शब्बीर के पुराने शहर में इंतेख़ाबी मुहिम के मौक़े पर अवाम में ग़ैरमामूली जोश-ओ-ख़ुरोश देखा गया और राय दहिंदों का कहना था कि सियासी जमातों ने पुराने शहर को मुक़ामी जमात की मेहरबानी पर छोड़ दिया था जिसके सबब उनके मसाइल में दिन ब दिन इज़ाफ़ा ही होता गया।

अगर क़ौमी और इलाक़ाई जमातें पुराने शहर के राय दहिंदों पर तवज्जे मर्कूज़ करें तो पुराने शहर की पसमांदगी का ख़ातमा मुम्किन है। बारकस, चंदरायन गुट्टा, हाफ़िज़ बाबा नगर, उप्पू गौड़ा, चारमीनार, ख़िलवत, क़ाज़ी पूरा, घानसी बाज़ार, पुराना पुल, दूध बौली, हुसैनी आलम जैसे इलाक़ों में कांग्रेस क़ाइदीन का जिस अंदाज़ में इस्तेक़बाल किया गया उन्हें उसकी तवक़्क़ो नहीं थी।

बताया जाता है कि बारकस में मुहम्मद अली शब्बीर के दौरे के मौक़े पर मुक़ामी जमात के तीन दफ़ातिर को अवाम ने रज़ाकाराना तौर पर बंद करते हुए वहां कांग्रेस के दफ़्तर क़ायम कर दिए। बारकस के मुक़ामी अफ़राद ने बताया कि साबिक़ में इस इलाक़े से कांग्रेस के कार्पो रेटर्स मुंतख़िब हो चुके हैं और बारकस कांग्रेस का मज़बूत गढ़ था।

पुराने शहर के अवाम में मुक़ामी जमात के जो डर-ओ-ख़ौफ़ का माहौल था अब वो ख़त्म होने लगा है। इसी दौरान मुहम्मद अली शब्बीर ने मजलिसी क़ियादत की जानिब से कांग्रेस पर इल्ज़ामात को बौखलाहट का नतीजा क़रार दिया और कहा कि पुराने शहर में मजलिस का इस्तेहकाम दरअसल कांग्रेस की देन है अगर कांग्रेस नहीं चाहती तो मजलिस सिर्फ़ एकता दो असेम्बली हलक़ों तक महिदूद हो करती।

उन्होंने कहा कि अवाम ख़ौफ़ के माहौल से बाहर निकल रहे हैं और आइन्दा चंद बरसों में कांग्रेस पार्टी पुराने शहर में मुतबादिल के तौर पर उभरेगी। उन्होंने कहा कि मजलिस बलदिया में3 बरस तक मेयर के ओहदे पर मजलिस की बरक़रारी दरअसल कांग्रेस की मेहरबानी थी लेकिन आज वही पार्टी एहसानात भूल कर कांग्रेस पर इल्ज़ाम तराशी कर रही है।

उन्होंने कहा कि धमकीयों के ज़रिये कांग्रेस क़ाइदीन को पुराने शहर में अवाम से क़रीब होने से रोका नहीं जा सकता। मुहम्मद अली शब्बीर ने कहा कि वो किसी भी धमकी से ख़ौफ़ज़दा होने वाले नहीं हैं क्योंकि अवाम कांग्रेस के साथ हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक क़ौमी जमात है और मजलिस की सियासी सफ़र में कांग्रेस के बग़ैर कामयाबी मुम्किन नहीं थी लेकिन अफ़सोस कि मौजूदा क़ियादत ने कांग्रेस के एहसानात को फ़रामोश कर दिया|