पुरी दुनिया की मीडिया इजरायल के खिलाफ़ सक्रिय हो- एर्दोगन

तुर्की के राष्ट्रपति ररेसेप तय्यिप एर्दोगान ने इस्राईली संसद में हाल में पारित हुए विवादित क़ानून के मद्देनज़र, इस्राईल की दुनिया के सबसे बड़े फ़ासीवादी व नस्लभेदी शासन के रूप में भर्त्सना की है।

19 जुलाई को ज़ायोनी संसद में पारित हुए विवादित क़ानून में अतिग्रहित फ़िलिस्तीन के इलाकों को कथित “यहूदी देश” का दर्जा दिया गया है। तुर्क राष्ट्रपति ने मंगलवार को सत्ताधारी जस्टिस एन्ड डेव्लपमंट पार्टी के संसदीय गुट के साथ बैठक में कहाः “इस क़ानून से इस शासन की वास्तविक नियत का पता चलता है।

यह फ़िलिस्तीनियों और पूर्वी अलक़ुद्स जाने वाले दूसरे मुसलमानों और ईसाइयों पर अत्याचार और उनके ख़िलाफ़ सभी ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों को वैधता देता है। इसलिए मैं मुस्लिम व इस्लामी जगत, सभी प्रजातांत्रिक व लिब्रल राष्ट्रों, ग़ैर सरकारी संगठनों, मीडिया सदस्यों से इस्राईल के ख़िलाफ़ सक्रिय होने की अपील करता हूं।”

तुर्क राष्ट्रपति ने तेल अविव शासन की कार्यवाहियों की नाज़ी नेता हिटलर की “निरी नस्लभेदी” नीतियों से तुलना की।

अर्दोग़ान ने कहाः “हिटलर की आर्याई नस्ल की सनक और इस्राईल की इस मानसिकता में कि यहूदी ही “पवित्र भूमि” के अकेले मालिक हैं, कोई अंतर नहीं है। हिटलर की आत्मा जिसने दुनिया को बहुत बड़ी तबाही के मुहाने तक पहुंचाया, इस्राईल में कुछ अधिकारियों में पलट आयी है।”

19 जुलाई को कथित “यहूदी देश” क़ानून 62-55 वोट से पारित हुआ जिसमें हिब्रू को इस्राईल की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया और अवैध कॉलोनियों के निर्माण को तेल अविव शासन के हित में बताया गया।