पुलवामा हमले से पहले CRPF अधिकारी ने उजागर की थी आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण की कमियां
”यह देश में उग्रवाद और आतंकवाद से लड़ने वाले सबसे बड़े बल का एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र है लेकिन इसके पास कोई स्थायी संरचना नहीं है, फायरिंग रेंज नहीं है, बाउंड्री वॉल नहीं है. पिछले चार सालों में 150 से अधिक प्रशिक्षण और प्रशासनिक कर्मचारियों को केवल रिक्त पदों को भरने के लिए वहां तैनात किया गया है. यह एक भी CIAT (काउंटर इंसर्जेंसी एंड एंटी टेररिज्म) संबंधित कोर्स की पेशकश नहीं करता है.”
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह उस पत्र का सार है जो नई दिल्ली में सीआरपीएफ मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जनवरी और नवंबर 2018 के बीच भेजे गए पत्रों की एक श्रृंखला के रूप में है, जो आतंकवाद-रोधी प्रशिक्षण तंत्र की खराब स्थिति को उजागर करती है. इन पत्रों में से आखिरी पत्र सीआरपीएफ आईजी रजनीश राय द्वारा 22 नवंबर 2018 को इस साल 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले से दो महीने भेजा गया था.
इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों ने अपनी जान गंवा दी थी. राय आंध्र प्रदेश के चित्तूर में CRPF के 175 एकड़ के CIAT स्कूल के प्रभारी थे, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बल को आवंटित तीन ऐसे स्कूलों में से एक, जिसने विभिन्न बलों के लिए 2007 में 21 ऐसी सुविधाओं की परिकल्पना की थी.
गुजरात कैडर के 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी राय जून 2017 तक सीआरपीएफ आईजी (पूर्वोत्तर क्षेत्र) के रूप में सेवारत थे, जब उन्हें चित्तूर में सीआईएटी स्कूल का प्रभार लेने के लिए कहा गया था. 30 मार्च को असम के चिरांग में सेना, सीआरपीएफ, एसएसबी और पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा एक फर्जी एनकाउंटर के मामले में जांच के लिए बुलाए जाने के तीन महीने बाद उनका तबादला हुआ.
अगस्त में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए एक आवेदन का हवाला देते हुए सेवा छोड़ने के बाद, पिछले दिसंबर में राय को गृह मंत्रालय द्वारा निलंबित कर दिया गया था. जनवरी में केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (CAT) ने केंद्र की कार्रवाई को रोक दिया. राय तब गुजरात उच्च न्यायालय चले गए थे. अपने पत्रों में राय ने बताया कि सीआरपीएफ स्कूल केवल कश्मी पूर्वोत्तर या एलडब्ल्यूई क्षेत्रों के प्रमुखों को थिएटर-विशिष्ट, अल्पकालिक प्री-इंडक्शन (पीआई) प्रशिक्षण प्रदान करते हैं.