पुलिस का दुहरा मेयार एक मर्तबा फिर बेनकाब

ऐस ऐम बिलाल- हैदराबाद । /16 नवंबर । हमारी पुलिस फ़िकार्परस्त ना सही मगर फ़िर्क़ा प्रवर ज़रूर है । तशद्दुद के वाक़ियात में हमारी पुलिस की जांबदारी कोई ढकी छिपी बात नहीं रही है । फ़सादात के दौरान भी पुलिस हालात पर क़ाबू पाने की बजाय अक्सर हालात को बिगाड़ने का मूजिब बनती है । तशद्दुद और दहश्तगर्दी की यकसाँ कार्यवाईयों में मुल्ज़िमीन और तहक़ीक़ात में पुलिस रवैय्या बिलकुल मुआनिदाना होता है ।

अगर मुल्ज़िमीन मुस्लमान हूँ तो पुलिस के ओहदेदार सरकारी तौर पर ना सही मगर सहाफ़ीयों को ग़ैर सरकारी तौर पर राज़दाराना अंदाज़ में ये बावर करवाते हैं कि मुल्ज़िमीन बड़े ख़तरनाक हैं जिन के ताल्लुक़ात बैरून-ए-मुल्क दहश्तगर्द तंज़ीमों से है जिन का मक़सद मुल्क में बदअमनी फैलाना और ग़ैर मुस्लिमों पर हमले करना है । इस के बरख़िलाफ़ परतशद्दुद और दहश्तगर्द कार्यवाईयों में अगर कभी किसी मुल्ज़िम का ताल्लुक़ हिन्दू तबक़ा से हो तो पुलिस सरकारी रीकाडरस में तक उसे जुनूनी या फ़ातिर उल-अक़ल साबित करने की कोशिश करती है या फिर उन के ख़तरनाक अज़ाइम की पर्दापोशी करती है ।

हाल ही में मुस्लिम नौजवानों पर हमलों के सिलसिला में गिरफ़्तार 6 हिन्दू नौजवानों के ख़िलाफ़ पेश करदा रीमांड डायरी में पुलिस ने हनदत की दहश्तगर्द तंज़ीम हिन्दू वाहिनी को ना सिर्फ बचाने की कोशिश की है बल्कि गिरफ़्तार शूदा मुल्ज़िमीन की इन कार्यवाईयों को भी फ़िर्कापरस्ती का लेबल लगाने से गुरेज़ करते हुए उसे इंतिक़ामी कार्रवाई साबित करने की कोशिश की है ।

रोज़नामा सियासत ने इस केस की रीमांड केस डेरी हासिल की है जिस में तहक़ीक़ाती एजैंसी ने अदालत को ये बात बताई है कि उन्हें अब तक की तहक़ीक़ात से ये मालूम हुआ है कि गिरफ़्तार मुल्ज़िमीन सदानंद , अनी कृष्णा , शक्ति महेश्वर , सूर्य वंशी संतोष , पभा भार्गव और पांडवगा कल्याण हिन्दू वाहिनी तंज़ीम से वाबस्ता है और वो अक्सर हनूमान जयंती , सिरी रामनवमी , वो यक्का निंदा जयंती , शेवा जी महाराज पट्टा भीशीकम और अखंड भारत डेविस जिसे संचालक वासू मुनाक़िद किया करता था वो अक्सर इन में हिस्सा लिया करते थे ।

मुस्लिम नौजवानों पर हमलों के बाद सिटी पुलिस ने ज़राए इबलाग़ को ये बात बताई कि हिन्दू बुनियाद परस्त तंज़ीमें ईद-उल-अज़हा के मौक़ा पर शहर में बड़े जानवरों की क़ुर्बानी और इस के कारोबार के ख़िलाफ़ ये वारदातें अंजाम दें हैं जबकि पुलिस रिकार्ड के बमूजब गिरफ़्तार हिन्दू वाहिनी के कारकुनों ने बड़े जानवरों की क़ुर्बानी की वजह से मुस्लिम नौजवानों पर हमला नहीं किया बल्कि इन हमलों में मुलव्विस मुल्ज़िम नंबर 3 शक्ति महेश्वर उर्फ़ विनोद के एक भाई करण जिस ने काच्चि गौड़ा निंबोली अड्डे में बड़े जानवरों की मुंतक़ली को रोकने केलिए एक लारी रोकी थी जिस पर लारी में मौजूद मुस्लिम नौजवानों ने करण को ज़िद-ओ-कूब किया था और इस का इंतिक़ाम लेने केलिए शहर के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में मुस्लमानों को निशाना बनाया था ।

रीमांड डायरी के बमूजब इस 6 रुकनी टोली का सरग़ना सहोजी सदानंद उर्फ़ सदा जो पेशा से अलीकटरीशन है और कर्मण घाट का मुक़ीम है वो साबिक़ में फ़िर्कावाराना वारदातों में मुलव्विस है और इस के ख़िलाफ़ साबिक़ मैं बोइन पली पुलिस ने मुक़द्दमा दर्ज किया था इतना ही नहीं सदानंद ने साइबर आबाद के इलाक़ा कुशाई गौड़ा में भी इक़दाम-ए-क़तल की संगीन वारदात अंजाम दी थी । लेकिन हैदराबाद पुलिस ने ज़राए इबलाग़ को ये बात बताने से गुरेज़ क्या । दूसरी तरफ़ पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में अदालत को ये बात बताई कि इन हमलों का साज़िशी सदानंद ने सुरेश नामी नौजवानों को भी निशाना बनाया था क्योंकि सुरेश अपना मज़हब तबदील करने वाला था ।

पुलिस की अदालत में दाख़िल की गई तहक़ीक़ाती रिपोर्ट से ये मालूम होता है कि गिरफ़्तार हिन्दू वाहिनी के अरकान झगड़े का इंतिक़ाम लेने केलिए ये वारदातें अंजाम दी थीं ना कि बड़े जानवरों की क़ुर्बानी और उन के कारोबार के ख़िलाफ़ ये कार्रवाई की थी । पुलिस की रिपोर्टस से ये मालूम होता है कि हिन्दू वाहिनी तंज़ीम शिद्दत पसंद तंज़ीम नहीं है और इस तंज़ीम के बारे में अदालत को वाज़िह तौर पर नहीं बताया गया है और इस तंज़ीम के अरकान साबिक़ में मुलव्वस संगीन वारदातों बशमोल पादरीयों का क़तल और दीगर वारदातों का हवाला नहीं दिया गया है ।