पुलिस की अवाम दोस्त पालिसी पर किस हद तक अमल आवरी

पुलिस की अवाम दोस्त पालिसीयों के तहत अवाम को पुलिस से क़रीब करने और इन्साफ़ रसानी में आसानी के इक़दामात को इन दिनों एहमीयत दी जा रही है। ताहम आला ओहदेदारों के इन इक़दामात को किसी और से नहीं बल्कि ख़ुद महिकमा के ज़िम्मेदार ओहदेदारों से ही नुक़्सान होने के वाक़ियात-ओ-इल्ज़ामात पाए जाते हैं।

पुराने शहर के अलाक़ा हुसैनी अलम में इन दिनों जायदाद के तनाज़ा में पुलिस पर जांबदारी का इल्ज़ाम है। पुलिस स्टेशन से मसला रुजू होने और एफ़ आई आर दर्ज होने के बावजूद मुबय्यना तौर पर भी शिकायत कनुंदा को आला अफ़िसरों के दरबार में दस्तक देना पड़ रहा है। बताया जाता हैके जुलुख़ाना लाड बाज़ार में वाक़्ये एक दुकान का दाख़िला मसला तनाज़ा की शक्ल इख़तियार कर गया।

चंद अफ़राद ने जो ट्रस्ट की इस मिलगी पर अपना हक़ जता रहे थे। ट्रस्ट से बाज़ाबता किरायादार मुहम्मद मेराज को मुबय्यना तौर पर ज़द्द-ओ-कूब करते हुए मिलगी को ख़ाली करवा दिया जबकि पिछ्ले सालों से मेराज इस मिलगी में मीना ज़री वर्क़्स के नाम से अपना कारोबार चला रहे हैं। मेराज ने इल्ज़ाम लगाते हुए कहा कि उन्हें ज़द्द-ओ-कूब करने के अलावा उस वक़्त उन के क़बजे से मुबय्यना तौर पर 80 हज़ार रुपये रक़म भी छीन ली गई। उन्होंने ने बताया कि जुलुख़ाना में वाक़्ये इस मिलगी के वो मुकर्रम जाह ट्रस्ट से किरायादार हैं। ताहम पुलिस के इक़दामात के सबब उन्हें काफ़ी मुश्किलात का सामना करना पड़ रहा है। मुक़ामी अवाम ने पुलिस पर सियासी असरोरसूख़ के तहत दबाव‌ में जांबदारी का इल्ज़ाम लगाया और कमिशनर पुलिस से दरख़ास्त की हैके वो इंसाफ़ करते हुए पुलिस की अवाम दोस्त पालिसीयों को अमली जामा पहनाईं और अवाम को पुलिस से राहत फ़राहम करने के इक़दामात करें।