पुलिस के पास फायरिंग के सिवा कोई और मुतबादिल नहीं था

मदूराई 17 नवंबर (पी टी आई) पुलिस ने आज मद्रास हाईकोर्ट की एक बंच को बताया कि रामनतापुरम् ज़िला मैं परमाकोडी में फायरिंग का वाक़िया जिस में सात अफ़राद हलाक हो गए थॆ, वो दरअसल तशद्दुद पर आमादा हुजूम के बरताव् का नतीजा था जिस ने कई गाड़ीयों को नज़र-ए-आतिश कर के कई दो का नात और मकानात को भी शदीद नुक़्सान पहुंचाया था ।

लोक सभा एम पी और सदर वधू थलाई चुरू थलगल काच्चि की जानिब से मफ़ाद-ए-आम्मा की एक अर्ज़दाशत के इदख़ाल के जवाब में एक जवाबी हलफ़नामा दाख़िल करते हुए पी राजेश दास आई जी पी साउथ ज़ोन ने कहा कि अगर पुलिस फायरिंग नहीं करती तो मज़ीद कई लोग तशद्दुद का शिकार होजाए या उन्हें हलाक करदिया जाता ।

उन्हों ने कहा कि अगज़ीकीटीव मजिस्ट्रेट की जानिब से हुक्म मिलने के बाद ही पुलिस ने फायरिंग की क्योंकि पुलिस के पास कोई और मुतबादिल मौजूद नहीं था। क़ब्लअज़ीं दीगर तमाम मुतबादिल जैसे मुसालहती बातचीत , इंतिबाह, हवाई फायरिंग , लाठी चार्ज और आँसू गैस के शैल दाग़ना सब बेसूद साबित हुए थे ।

तशद्दुद पर आमादा हुजूम ने 104 पुलिस अहलकारों को ज़िद-ओ-कोब करते हुए मुतअद्दिद दो का नात-ओ-मकानात को नुक़्सान पहुंचाया था जिस की वजह से ट्राफिक निज़ाम दिरहम ब्रहम होगया था ।वाज़िह रहे कि मुश्तइल अवाम दलित क़ाइद जान पांडियन की 11 सितंबर को हुई गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ एहतिजाज कर रहे थे ।

मिस्टर दास ने अपने हलफ़नामा में तहरीर किया है कि मिस्टर घरोमा वलावन दलितों और दीगर इंसानी मक़ासिद के लिए हमेशा जद्द-ओ-जहद करते हैं और सिर्फ मौजूदा केस ही ऐसा वाहिद केस है जिस में हक़ायक़ को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है ।