बिहार में माओवादी नए इज़ाद से नहीं चूक रहे हैं। माओवादी तारीख में पहली बार एसएमएस के जरिए लोकसभा इंतिखाब का बायकॉट करने के बाद अब पुलिस को जहर देकर मारने की मंसूबा पर तेजी से काम किया जा रहा है। इसके लिए जंगलों में मौजूद कुदरती वसायलों से जहर बनाने में नक्सली जुट गए हैं। कांबिंग ऑपरेशन के दौरान सिक्योरिटी फोर्सेज और पुलिस के खाने में इसे मिला कर बड़े जानमाल के नुकसान की साजिश तैयार की गयी है। खुफिया महकमा को इसकी इत्तिला मिलने के बाद आनन-फानन में कई जिलों की पुलिस को अलर्ट जारी किया गया है।
देश के रेड कॉरीडोर छत्तीसगढ़, ओड़िशा, मगरिबी बंगाल, आंध्र प्रदेश में नक्सलियों को निशाना बनाने के लिए छिपे तौर पर पुलिस यह इस्तेमाल कर चुकी है। गांव वालों के जरिए नक्सलियों के खाने में जहर मिलाने के मामले सामने आ चुके हैं। अब माओवादी इसे पुलिस पर आजमाने की फिराक में हैं। पुलिस और सिक्योरिटी फोर्सेज के कांबिंग ऑपरेशन के दौरान उनके खाने में चोरी छिपे जहर मिलाने की मंसूबा पर माओवादी तेजी से काम कर रहा है।
ऐसे बना रहे हैं जहर
माओवादियों के छिपने का इलाका जंगल है। बिहार के जंगलों में बेला बीज की भरमार है। इस बीज को जमा कर चूना के साथ गोंद में दो माह तक रखने पर रिवायती फार्मूले से जहर तैयार हो जाएगा। इस जहर के बारे में माहिरीन भी मानते हैं कि यह काफी खतरनाक है। इसका थोड़ा हिस्सा भी कई लोगों की जान ले सकता है। बकौल डॉ. दिवाकर तेजस्वी जिस फॉर्मूले की बात हो रही है इससे असल आलात में केमिकल रिएक्शन होगा। तैयार होने वाले जहर से जिश्म की किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचेगा। जहर देख कर ही बताया जा सकता है कि इसकी कितनी मिक़दार कितने कम वक़्त में असरदार होगी, लेकिन जो बताया जा रहा है, उससे तो मौत यक़ीनी है। इसका कोई तोड़ नहीं है।