पुलिस तहक़ीक़ात के नाम पर हिरासानी

पुणे: क़ानून हक़ मालूमात (आरटीआई के सरगर्म कारकुन विलास बरवाकर जिन्होंने साल2014 में मुबय्यना ख़ुदकुशी करली थी, की बीवी ने होम मिनिस्टर‌ महाराष्ट्र और ज़िला पुलिस और सीआईडी को मुक्तो बात रवाना करते हुए इस केस की तहक़ीक़ात रोक देने की ख़ाहिश की है।

अजवाला बरवाकर ने बताया कि ख़ुदकुशी केस की तहक़ीक़ात के लिए बार-बार तलबी से उनका ख़ानदान ज़हनी हिरासानी का शिकार है। याद‌ रहे कि आरटीआई कारकुन ने ख़ुदकुशी नोट में कई एक सियासतदानों और सीनियर पुलिस ओहदेदारों कान उम लिया था और इंतेहाई इक़दाम के लिए उन्हें मोरीद-ए-इल्ज़ाम ठहराया था।

बेवा ख़ातून ने कहा कि मेरे शौहर की मौत के बाद मेरा ख़ानदान मसाइब-ओ-आलाम झेल रहा है और तहक़ीक़ात के नाम पर हमें बार-बार तलब किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि वो तहक़ीक़ाती कार्यवाई से बेज़ार हो गए हैं और अब सिलसिले को रोक देना चाहिए। वज़ीर-ए-दाख़िला पुणे के रुकन पार्लियामेंट , सीआईडी मीडिया के नुमाइंदों और पुणे के एक और आरटीआई कारकुन विजय‌ कुम्हार को मौसूमा अलग अलग मुक्तो बात में उन्होंने कहा कि तहक़ीक़ात की तकलीफ़-दह कार्रवाई की वजह से उनके ख़ानदान को ज़हनी , जिस्मानी और मालीयाती और समाजी हिरासानी से दो-चार होना पड़ रहा है।

याद‌ रहे कि 52 साला विलास ब्रावीकर ने जोकि चाकन टाउन में गै़रक़ानूनी तामीरात के ख़िलाफ़ थे, बाज़ सियासी लीडरों की धमकियों से ख़ौफ़ज़दा हो गए और इलाक़े यमसीरी चिंचवाड में 25 मार्च 2014 को अपने मकान की छत से लटक कर ख़ुदकुशी करली थी और ख़ुदकुशी नोट में50 से ज़ाइद अफ़राद बिशमोल बाज़ सरकरदा सियासतदानों और पुलिस ओहदेदारों का नाम लिया है|