पुलिस दस्तों के कॉलेजों में ठहराने पर हाइकोर्ट की रोक

इलाहाबाद हाइकोर्ट की डवीझ़न बेंच जो जस्टिस डी के उपाध्याय और जस्टिस इमतियाज़ मुर्तज़ा पर मुश्तमिल थी, ने आज मुक़ामी हिन्दी रोज़नामा दैनिक जागरण की इस ख़बर जिस में कहा गया था कि नरेंद्र मोदी की 2 मार्च को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर पार्क में जो रैली होरही है|

इस रैली को पुरअमन बनाने के लिए ज़िला हुक्काम ने पूरी रियासत से जो इज़ाफ़ी पुलिस और पी ए सी फ़ोर्स तलब की है, जिन को मुक़ामी कॉलेजों में ठहराए जाने का बंद-ओ-बस्त किया गया है जबकि कॉलेजों में यूपी बोर्ड के इम्तिहानात के सेंटर हैं जहां 3 मार्च से बोर्ड के इम्तिहानात होरहे हैं।

इसे में कालेजों में पुलिस और पी ए सी के इज़ाफ़ी दस्तों के ठहरने की वजह से उन कॉलेजों के मुंतज़मीन के लिए स्टिंग अरीजमेंट करना मुश्किल होगया है। फ़ाज़िल बेंच ने इस ख़बर को बतौर रिट पटीशन के तौर लेते हुए खु़द मुआमला की समाअत करते हुए रियासत के चीफ़ स्टेंडिंग कौंसिल को तलब करके उनसे पूछा कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने किस क़ानून की रौ से कॉलेजों में पुलिस और पी ए सी के इज़ाफ़ी दस्तों को ठहराने का बंद-ओ-बस्त किया है जबकि उनको मालूम है कि 3 मार्च से बोर्ड के इम्तिहानात होरहे हैं।

जस्टिस इम्तियाज़ मुर्तज़ा, जस्टिस डी के उपाध्याय ने ज़िला इंतिज़ामिया को हिदायत दी है कि वो किसी कॉलेज में पुलिस और पी ए सी के इज़ाफ़ी दस्तों को ना ठहराए। हाइकोर्ट की फ़ाज़िल बेंच आज‌ भी इस मुआमले में समाअत करेगी।

हाइकोर्ट की इस रोक के बाद अब ज़िला इंतिज़ामिया के सामने ये मसला उठ खड़ा हुआ कि वो इस फ़ोर्स को कहाँ ठहराए जबकि नरेंद्र मोदी की रैली में 15 लाख अफ़राद आने का दावा बी जे पी की रियासती क़ियादत कररही है इतने बड़े मजमा को क़ाबू में रखना ख़ुद ही ज़िला इंतिज़ामिया के लिए किसी बड़े चैलेंज से किसी तरह से कम नहीं है।