बॉम्बे हाइकोर्ट की बैंच ने एक अहम रिमार्क करते हुए आज कहा कि गै़रज़रूरी तक़रीबात और प्रोटोकोल के नाम पर पुलिस अमले के क़ीमती औक़ात को ज़ाए ना किया जाये चूँकि समाज में दिन ब दिन बढ़ते हुए जराइम के पेशे नज़र ये मसला एहमियत इख़तियार कर गया है।
बैंच ने ये रिमार्क उसने हामानकर की जानिब से दाख़िल की गई दरख़ास्त पर सुनवाई करते हुए किया जिस में ये इल्ज़ाम आइद किया गया है कि गुजिश्ता दिसम्बर में उनके बेटे के अग़वा की तहक़ीक़ात में देर से काम लिया जा रहा है। गुजिश्ता हफ़्ता हाइकोर्ट ने डायरेक्टर जनरल आफ़ पुलिस संजीव दयाल और ऐडीशनल चीफ़ सेक्रेटरी अमिताभ राजन को सुमन जारी करते हुए मुक़द्दमात में होने वाली ताख़ीर पर वज़ाहत तलब की थी।
अदालत ने अपने रिमार्क में कहा कि तमाम हलक़ा जात की तक़रीबात में गार्ड आफ़ ऑनर और इस तरह के दीगर तक़रीबात में पुलिस अमले के औक़ात को सालों से ज़ाए किया जा रहा है, बजाय इसके उनके क़ीमती औक़ात को समाज में बढ़ते हुए जराइम की रोक थाम में सिर्फ़ किया जाये। अदालत ने ओहदेदारों को प्रोटोकोल जैसी रस्म को भी मुख़्तसर करने की हिदायत दी।