पेट्रोलीयम मसनूआत , हुकूमत सख़्त फ़ैसलों पर मजबूर:वज़ीर-ए-आज़म

सूरजकुंड, १० नवंबर (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज पेट्रोलीयम मसनूआत की क़ीमतों में इज़ाफ़ा के हालिया मुश्किल फ़ैसले की मुदाफ़अत (निवारण) करते हुए कांग्रेस कारकुनों से ख़ाहिश की कि वो इन इक़दामात के बारे में अवाम का एतिमाद हासिल करें और उन्हें समझाएं कि ये फ़ैसले ज़रूरी थे।

क़ौमी दार-उल-हकूमत के मुज़ाफ़ात में आली सतही कांग्रेसी क़ाइदीन के मुज़ाकरात के लिए मुनाक़िदा इजलास से ख़िताब करते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि माली ख़सारे ( नुकसान) में कमी करना, ग़िज़ाई अजनास पर रियायती क़ीमतों के क़ानून से निपटना, पेट्रोलीयम मसनूआत, खादें, इंफ्रास्ट्रक्चर की तरक़्क़ी और ज़रई पैदावार में इज़ाफ़ा मुल्क को दरपेश अहम चैलेंज्स हैं।

उन्होंने निशानदेही की कि मालीयाती ख़सारा जो 2007 08 में 2.5 फ़ीसद था, 2011 12 में 5.76 फ़ीसद हो गया है। ये ख़सारा मुल्क पर मनफ़ी (नकारात्मक) असर मुरत्तिब (असर) कर सकता है। हमारी मईशत पर अंदरून और बैरून-ए-मुल्क के सरमाया कारों (निवेशको) का एतिमाद उठ सकता है, जो पहले ही डांवां डोल है।

मआशी तरक़्क़ी सुस्त रफ़्तार हो चुकी है, जिस के नतीजे में ग़ुर्बत और बेरोज़गारी में इज़ाफ़ा हो रहा है। मनमोहन सिंह ने कहा कि इसीलिए हुकूमत को पेट्रोलीयम मसनूआत के बारे में बाअज़ सख़्त फ़ैसले करने पर मजबूर होना पड़ा, ताकि ग़रीब और कमज़ोर तबक़ात पर कम असर को यक़ीनी बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हम ने केरोसीन की क़ीमतों में इज़ाफ़ा नहीं किया। उन्होंने हक़ तालीम, दोपहर के खाने की स्कीम, फ़रोग़ महारत मिशन, देही मुलाज़मतें स्कीम की तफ़सीलात बयान करते हुए उन्हें हुकूमत के नुमायां कारनामे क़रार दिया। उन्होंने कहा कि हमें ये ज़हन नशीन रखना चाहीए कि वसाइल ( साधन) के लिए ऐसे इक़दामात ज़रूरी थे, क्योंकि हम तेज़ रफ़्तार मआशी तरक़्क़ी यक़ीनी बनाना चाहते हैं।

मनमोहन सिंह ने एतिमाद ज़ाहिर किया कि हुकूमत की मआशी पालिसीयां अच्छी सियासत को मुस्तहकम (मजबूत) करेंगी। उन्होंने कहा कि हम पर अवाम का एतिमाद बरक़रार रखा जाना चाहीए। इस मक़सद के लिए पार्टी कारकुनों को मुत्तहदा और मुख़लिसाना कोशिशें करनी होंगी।

उन्होंने कहा कि मआशी मुश्किलात के बावजूद अवाम के लिए हुकूमत की फ़लाही स्कीम्स मुतास्सिर नहीं होंगी। वज़ीर-ए-आज़म ने इस सवाल का जवाब देने से गुरेज़ किया कि क्या अंदरून और बैरून-ए-मुल्क सरमाया कारों के लिए साज़गार माहौल पैदा हो चुका है? और मआशी तरक़्क़ी के लिए अज़ीम तर सरमाया कारी मुतवक़्क़े है।

रीटेल शोबा में रास्त ग़ैर मुल्की सरमाया कारी पर तनाज़ा के सिलसिले में उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि इस क़ौमी एहमीयत की मुहिम को अच्छी तरह समझा जाए। हुकूमत को रियास्ती हुकूमतों, सयासी पार्टीयों और शहरी मुआशरों की इस मसला पर ताईद की ज़रूरत है, वर्ना हम इस में मुकम्मल तौर पर कामयाब नहीं हो सकेंगे।

ज़रई शोबा की हालत को मुल्क के लिए कलीदी चैलेंज क़रार देते हुए उन्होंने कहा कि ग़िज़ाई सयानत के लिए ज़रई पैदावार में कम अज़ कम 4 फ़ीसद इज़ाफ़ा ज़रूरी है।