पेट्रोल की क़ीमत में इज़ाफ़ा करने पर ग्रिड की नाकामी जैसी सूरत-ए-हाल का मोंटेक सिंह का इंतिबाह

डीज़ल की क़ीमत में इज़ाफ़ा ना करने की सूरत में ग्रिड की हालिया नाकामी जैसी सूरत-ए-हाल का सामना करने का इंतिबाह ( चेतावनी) देते हुए जिस के नतीजा में पूरी 20 रियास्तें ( राज्यो में) कई घंटों तक तारीकी में ग़र्क़ होगई थीं । नायब सदर नशीन मंसूबा बंदी कमीशन मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा कि हक़ीक़ी सवाल ये है कि अगर आप ये सख़्त फ़ैसले (डीज़ल की क़ीमत में इज़ाफ़ा) ना करें तो तक़सीम-ए-कार कंपनीयां तवानाई की अदायगी से क़ासिर ( दूर) रहेंगी ।

आप को कुछ मसाइल ( समस्याओं) का सामना होगा । दीगर ( दूसरे) नताइज ( परिणाम) बरामद होंगे । आप देख चुके हैं कि ग्रिड की नाकामी की सूरत में क्या सच था । वो प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब ( संबोधित) कर रहे थे । डीज़ल की क़ीमत में इज़ाफ़ा के बारे में सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर क़ीमत में इज़ाफ़ा किया जाय तो इबतदा ( शुरू) में इस के मनफ़ी नताइज मुरत्तिब ( संग्रह) होंगे लेकिन क़ीमतों में इज़ाफ़ा ना करने का मतलब सिर्फ ये होगा कि तेल का शोबा ( Sector) मुसलसल लहू लुहान रहेगा ।

सरकारी मिल्कियत वाली तेल कंपनीयां ईंधन तक़रीबन 13 रुपय 65 पैसे फ़ी ( प्रति) लीटर के घरेलू पकवान गैस पर 14.2 किलोग्राम के हर सीलेनडर की फ़रोख्त पर उन्हें 231 रुपय का नुक़्सान होता है । इलावा अज़ीं ( इसके अतिरिक्त) एक लीटर केरोसीन की फ़रोख्त 29 रुपय 97 पैसे का नुक़्सान होता है ।

क़ीमत में इज़ाफ़ा के बगै़र ईंधन की फ़रोख्त पर होने वाले एक लाख 60 हज़ार करोड़ रुपय की ख़तीर ( अधिक/ ज़्यादा) रक़म के नुक़्सान की हुकूमत को जारीया माली साल में पा बजाई करनी होगी । अहलुवालिया ने कहा कि ये सोचना ग़लती है कि डीज़ल की क़ीमत में इज़ाफे़ से इफ़रात ए‍ ज़र ( Index) में इज़ाफ़ा होगा । क्या इस नुक़्सान को पोशीदा रखने और पोशीदा रियायतें देने से इफ़रात-ए-ज़र पैदा नहीं होता है उन्होंने सवाल किया ।