पेट्रोल क़ीमतों में इज़ाफ़ा का इम्कान

बजट की पेशकशी के बाद पेट्रोल की क़ीमतों में इज़ाफ़ा का इम्कान है लेकिन मर्कज़ी वज़ीर तेल मिस्टर एस जय पाल रेड्डी ने आज कहा कि हुकूमत डीज़ल की कीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद करने पर ग़ौर नहीं कर रही है । इन्होंने इस बात का एतराफ़ भी किया कि पेट्रोल की कीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद करने में कुछ तसलसुल बरक़रार नहीं रह सका है ।

मिस्टर रेड्डी ने सातवें एशिया गैस पार्टनरशिप चोटी कान्फ्रेंस के मौक़ा पर अख़बारी नुमाइंदों से बात चीत करते हुए कहा कि फ़िलहाल हुकूमत डीज़ल की कीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद करने पर ग़ौर नहीं कर रही है । अगर हुकूमत डीज़ल कीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद कर दे तो फिर तेल कंपनियों को डीज़ल की कीमत पर फ़ी लीटर 14.73 रुपय का इज़ाफ़ा करना पड़ेगा ।

हुकूमत 2010 में पेट्रोल कीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद कर चुकी है । पेट्रोल के मामला में भी सरकारी तेल कंपनियों ने इनकी कीमतों के मुताबिक़ हालिया महीनों में कोई इज़ाफ़ा नहीं किया है।

तेल कंपनियों का इद्दिआ है कि वो फ़िलहाल फ़ी लीटर पैट्रोल 7.72 रुपय नुक़्सान के साथ फ़रोख्त कर रही हैं। मिस्टर रेड्डी ने कहा कि पैट्रोल कीमतों को कंट्रोल से आज़ाद करने में किसी तरह तसलसुल मुतास्सिर रहा है ताहम हुकूमत अब पेट्रोल कीमतों पर सरकारी कंट्रोल बहाल करने का कोई इरादा नहीं रखती।

तेल कंपनियों का कहना है कि चूँकि वो सरकारी वजूहात की बिना पर पैट्रोल की कीमतों में मार्किट के मुताबिक़ इज़ाफ़ा नहीं कर सकी हैं इसलिए इसे हुकूमत 4,500 करोड़ रुपय मुआवज़ा अदा करे । फ़िलहाल हुकूमत डीज़ल पकवान गैस और केरोसीन पर ही सबसिडी अदा करती है । मिस्टर रेड्डी ने कहा कि तेल कंपनियों ने यक़ीनन कुछ इक़दामात की सिफ़ारिश की है ।

लेकिन वज़ारत पेट्रोलीयम इस ताल्लुक़ से कोई फैसला करने में आज़ाद नहीं है । ये मसला किसी मुनासिब-ए-वक़्त पर वुज़रा के बाइख्तेयार ग्रुप से रुजू किया जाएगा इस मसला पर किसी फैसला का मिस्टर परनब मुकर्जी की क़ियादत वाले ग्रुप को ही इख्तेयार है । इसी ग्रुप ने पैट्रोल कीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद करने का फैसला किया था ।मज़ीद कोई फैसला ज़रूरी हो तो भी यही ग्रुप करेगा |