पेशावर में मलाला यूसुफ़ ज़ई की किताब I am Malala की तकरीब रूनुमाई अमनो अमान के पेशे नज़र मुल्तवी करदी गई। आसिफ़ा ज़रदारी का कहना है कि हमारे बोलने और इज़हारे राय की आज़ादी कहाँ है? जबकि इमरान ख़ान कहते हैं कि समझ नहीं आ रहा मलाला की किताब की रूनुमाई क्यों रोकी गई।
आई एम मलाला की तकरीब रूनुमाई बाचा ख़ान फ़ाउंडेशन के तहत पेशावर यूनीवर्सिटी के एरिया स्टडी सेंटर में आज मुक़र्रर थी। पेशावर यूनीवर्सिटी के ज़राए ने ज्यो न्यूज़ को बताया कि सुबाई हुकूमत की जानिब से सेक्यूरिटी फ़राहम किए जाने से माज़रत के बाद तक़रीब मंसूख़ करदी गई।