पैट्रोल की इज़ाफ़ा शूदा क़ीमत को वापिस लेने का इमकान नहीं

नई दिल्ली 06 नवंबर (पी टी आई) पैट्रोल की इज़ाफ़ा शूदा क़ीमत 1.80 रुपय फ़ी लीटर को वापिस लेने के इमकान को हुकूमत ने मुस्तर्द कर दिया।
सरकारी ज़राए ने कहाकि यू पी ए हुकूमत पर सयासी दबाओ बढ़ने के बावजूद क़ीमतों को वापिस नहीं लिया जाएगा।

इस दौरान हुक्मराँ यू पी ए इत्तिहाद की हलीफ़ पार्टीयों जैसे तृणमूल कांग्रेस पर शदीद तन्क़ीद करते हुए जिस ने क़ीमत में इज़ाफ़ा पर तन्क़ीद करते हुए हुकूमत से ताईद वापिस लेने की धमकी दी है, एक काबीनी वज़ीर ने कहाकि ममता बनर्जी मर्कज़ की बावक़ार और बाइख़तियार वज़ारती ग्रुप का हिस्सा नहीं हैं जिस को जून 2010 -ए-में तशकील दिया गया था और इस ग्रुप ने पैट्रोल की क़ीमतों को सरकारी कंट्रोल से आज़ाद कर दिया है।

मर्कज़ी वज़ीर ने मज़ीद कहाकि ममता बनर्जी ने बाइख़तियार वज़ारती ग्रुप के 25 जून 2010 -ए-को मुनाक़िदा इजलास में शिरकत नहीं की थी। ताहम उन्हें इजलास के फ़ैसला से वाक़िफ़ करवाया गया था। इस फ़ैसला के बाद भी वो मर्कज़ी काबीना में बरक़रार रहें और उन्हों ने हुकूमत से अपनी ताईद वापिस लेने की एक मर्तबा भी धमकी नहीं दी।

उन्होंने मज़ीद कहाकि पैट्रोल की क़ीमत में इज़ाफ़ा का फ़ैसला इस बाइख़तियार ग्रुप के फ़ैसला के ख़ुतूत पर किया जा रहा है। हुकूमत ने गुज़श्ता साल ही ऑयल कंपनीयों को इख़्तयारात दिए हैं। मर्कज़ी वज़ीर ने मज़ीद कहाकि ममता बनर्जी एक पेचीदा सयासी मसला हैं जब हम ने इन से इत्तिहाद करलिया है तो हमें अप्पोज़ीशन बी जे पी की ज़रूरत नहीं है।

ज़राए ने कहा कि सरकारी मिल्कियत की तेल कंपनीयों ने अपनी मर्ज़ी पर पैट्रोल की क़ीमत में इज़ाफ़ा किया है। उसे हुकूमत में किसी से मुशावरत की ज़रूरत नहीं है। ज़राए ने मज़ीद कहाकि हुकूमत बदनाम होना नहीं चाहती लेकिन बाअज़ औक़ात उसे ग़ैरमामूली फ़ैसले करने पड़ते हैं। इस का मतलब ये नहीं कि हुकूमत बदनामी के लिए नोबल इनाम हासिल करने की दौड़ में शामिल हो रही है।

हुकूमत सिर्फ उस वक़्त ही बदनाम होगी जब वो ग़ैर कारकरद हो जाये। ऑयल कंपनीयों ने मजबूरन पैट्रोल की क़ीमत में इज़ाफ़ा किया है क्यों कि तेल की क़ीमतों में दोगुना इज़ाफ़ा हुआ है। डालर के ख़िलाफ़ रुपय की क़दर भी घट रही है। इस से दरआमदात महंगे हो रहे हैं। इसी दौरान सरकारी ज़राए ने कहाकि ममता बनर्जी और बी जे पी अपनी पार्टी की हुक्मरानी वाली रियास्तों में गै़रक़ानूनी तौर पर होने वाली आमदनी को जेब में उतार रही हैं।

मग़रिबी बंगाल में सेल्स टैक्स 26 फ़ीसद लिया जाता है जबकि कांग्रेस हुक्मरानी रियासत दिल्ली में 20 फ़ीसद वयाट लिया जा रहा है। अगर ममता बनर्जी को महंगाई पर तशवीश है तो वो अपनी रियासत में सेल्स टैक्स को दिल्ली के ख़ुतूत पर कम क्यों नहीं करतीं। इस तरह बी जे पी हुक्मरानी वाली रियास्तों के लिए भी ये बात सादिक़ आती है।