पैदा होते ही दी गई थी मुझे मारने की सलाह: स्मृति ईरानी

पहले टीवी सीरियल में बहू और अब मरकज़ी इंसानी वसाएल की तरक्की की वज़ीर स्मृति ईरानी आज जो कुछ भी है वह उनकी वालिदा मां की हिम्मत और जज्बे की वजह से है, वरना उन्हें तो पैदा होते ही मार दिया जाता। यह खुलासा जुमे के रोज़ खुद स्मृति ईरानी ने किया। उन्होंने कहा कि जब वह पैदा हुई थी तब उन्हें बोझ समझकर मारने की सलाह दी गई थी।

भोपाल में एक प्रोग्राम के दौरान Killing female embryos पर बोलते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि मैं पहली मरतबा इसको साझा कर रही हूं कि जब मैं पैदा हुई थी तो किसी ने मेरी मां को इशारा दिया था कि बेटी तो बोझ होती है, इसलिए मुझे मार देना चाहिए लेकिन मेरी मां हिम्मत वाली थीं, उन्होंने अपनी बेटी का कत्ल नहीं किया। भले ही उनके पास पैसे नहीं थे, मगर ताकत थी। इसलिए आज मैं आप लोगों के सामने खडी हूं। हालांकि स्मृति ईरानी ने यह नहीं बताया कि मारने की सलाह किसने दी थी। वैसे स्मृति ईरानी अकेली कामयाब खातून नहीं है, जिनके पैदा होने पर जश्न की बजाय गम जताया गया हो।

इससे पहले भारत की बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल ने भी ऐसा ही एक खुलासा किया था। साइना ने अपने एक कॉलम में लिखा था कि मैं यह सुनकर दंग रह गई थी कि मेरी दादी मेरे पैदा होने के एक महीने बाद तक मुझे देखने तक नहीं आई। साइना ने लिखा था कि मेरी पैदाइश मेरी बडी बहन चंद्रांशु की पैदाइश के सात साल बाद हुई थी और दादी दोबारा लडकी की पैदाइश पर बहुत नाराज थीं।

स्मृति ईरानी ने कहा कि इस तरह के ज़ुल्म को खत्म किया जाना चाहिए और यह हुकूमत का इब्तेदायी प्रोग्राम है।

अगर आप लडकी को पढाते हैं तो आप सिर्फ एक खातून को ही नहीं बल्कि पूरे खानदान को तालीम दे रहे हैं जो बाद में कौम की तामीर में मदद करेगा। अलग अलग रियासतों में अलग-अलग कोर्स और बोर्ड के मुताल्लिक सवाल पर स्मृति ईरानी ने कहा कि तालीम में तवाज़ुन (Symmetry) के मुद्दे को National Education Policy में एड्रेस किया जाएगा।

स्मृति ईरानी ने कहा कि बेरोजगारी के मसले को दूर करने के लिए तालीम को हुनर की तरक्की से जोडने के लिए सरकार पुर अज़्म। सरकार कोर्स को ज्यादा प्रैक्टिल बनाने पर भी जोर देगी।