पैलेटगन के छर्रे भी नहीं डिगा पाई इंशा के हौसले

श्रीनगर: शुक्रवार को कश्मीर के पारंपरिक लिबास में आठ महीने बाद इंशा जब अपने न्यू ग्रीन लैंड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट पहुंची तो उन्हें देखकर उनके सभी दोस्त काफी खुश हुए और उनका जबरदस्त स्वागत किया. बता दें कि आठ माह पूर्व घाटी में कर्फ्यू के दौरान इंशा मुस्ताक को पैलेट गन के छर्रे लगने से उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी.बावजूद इसके उनहोंने हार नहीं मानी.

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भले ही इंशा पहले से ज्यादा चुप रहने लगी हो, लेकिन उनके चेहरे की उम्मीदों मुस्कान काफी बढ़ गई है. देख न पाने के बावजूद इंशा अपने दोस्तों को गले लगा कर ख़ुशी जाहिर की और दूसरे बच्चों की तरह अपनी पढ़ाई आगे जारी रखने की चाहत व्यक्त की. उनका कहना है कि अब मैं तो देख नहीं सकती लेकिन किसी भी तरह पढ़ना चाहती हूं.

आपको बता दें कि श्रीनगर, सहित दिल्ली और मुंबई के बड़े बड़े अस्पतालों में बीते कुछ महीनों में इंशा की आंखों के कई ऑपरेशन किये गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

इंशा ने अब भी अपनी उम्मीदों नहीं छोड़ी है. वह कहती हैं, डॉक्टरों ने मुझे अल्लाह पर भरोसा रखने को कहा है. इंशाल्लाह मेरी आँखों में एक जरूर रोशनी आ जाएगी.