पैग़म्बर मोहम्मद (PBUH) की पत्नी हज़रत ख़दीजा की ज़िंदगी से जुड़ी 7 दिलचस्प बातें

महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने वाले धर्मों में इस्लाम प्रमुख धर्म है और अगर हम इसके बुनियादी इतिहास को पढ़ें तो ये समझ आता है कि इस्लाम ने किस तरह से औरतों को बराबरी का हक़ दिया है. बहुत शुरुआत के दिनों में भी इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (PBUH) ने इस बात का ख़याल रखा कि हर इंसान को चाहे वो जिस रंग का हो या किसी लिंग का, बराबरी का हक़ मिले. इसी सिलसिले को जब शुरू करते हैं तो नाम आता है हज़रत ख़दीजा(RA) का. हज़रात ख़दीजा(RA) के बारे में कुछ ऐसी बातें हैं जो इतनी शानदार हैं कि यक़ीन करना मुश्किल हो जाता है कि क्या इतनी आज़ादी मिली होगी उन्हें.

1. वो बहुत कामयाब व्यापारी थीं: एक ऐसे ज़माने में जब औरतों को अधिक सम्मान ना मिलता था उस वक़्त हज़रात ख़दीजा एक कामयाब व्यापारी थीं और उनका इस पेशे में बहुत सम्मान था. अपने पिता की म्रत्यु के बाद उन्होंने ख़ानदानी व्यापार को सम्भाला ही नहीं बल्कि और ऊंचाइयों तक पहुंचाया.

2. उन्होंने शादी के कई न्योते ठुकरा दिए थे: ख़दीजा(RA) ने शादी के कई न्योतों को ठुकरा दिया था. अपने दौर की अमीर महिलाओं में शुमार की जाने वाली ख़दीजा(RA) को शादी के कई न्योते मिले लेकिन उन्होंने वो सारे ही न्योते ठुकरा दिए. पैग़म्बर मोहम्मद(PBUH) से शादी करने से पहले उनकी दो बार शादी हो चुकी थी और दोनों ही शादियों से उनकी औलादें थीं.

3. पैग़म्बर मोहम्मद(PBUH) के सामने उन्होंने शादी का प्रस्ताव रखा: जब ख़दीजा को पैग़म्बर मोहम्मद के शानदार व्यक्तित्व के बारे में पता चला तो उन्होंने अल्लाह के नबी के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. ये प्रस्ताव उन्होंने एक दोस्त के ज़रिये रखा और पैग़म्बर मोहम्मद ने उनके इस प्रस्ताव को अपना लिया.

4. वो पैग़म्बर मोहम्मद से 15 साल बड़ी थीं: ख़दीजा ने अपने ज़माने के पारंपरिक परिवेश से अलग अपने से 15 साल बड़े मोहम्मद(PBUH) से शादी की थी. तब उनकी उम्र 40 साल थी जबकि मोहम्मद साहब 25 साल के थे.

5. वो आदर्श पत्नी थीं और उनकी कहानी एक सच्ची प्रेम कहानी थी: एक ऐसे दौर में जबकि एक ही समय में एक से ज़्यादा जीवन साथी का चलन था, उस दौर में मोहम्मद और ख़दीजा 25 साल के लम्बे वक़्त में सिर्फ़ एक जीवन साथी के साथ रहे. मोहम्मद(PBUH) ने अपनी दूसरी शादी ख़दीजा के इंतिक़ाल के बाद की.

6. वो पहली मुस्लिम थीं: ख़दीजा को “मुसलमानों की माँ” का दर्जा हासिल है और उसका कारण ये है कि इस्लाम क़ुबूल करने वाली वो पहली शख्स थीं.

7. अपना धन, अपनी दौलत उन्होंने ग़रीबों को दान दी: ख़दीजा(RA) ने अपने जीवन में ग़रीबों को ख़ूब दान दिया, अनाथ लोगों की मदद की. ग़रीब लड़कियों की शादी का इंतज़ाम कराया और बीमारों की तीमारदारी की. सच्चे मायनों में वो महान थीं.