पोप फ्रांसिस ने ‘मुकद्दस जुमेरात’ के मौके़ पर रोम में एक जेल में कुछ कैदियों के पैर धोए। ये पहला मौका है जब ईस्टर के इस कदीम रस्म को किसी पोप ने जेल में किया है।
जिन लोगों के पोप ने पैर धोए उनमें एक मुस्लिम लड़की भी शामिल है।
अब बतौर पोप के उनके ऐसा करने को कैथोलिक चर्च की तरफ से हाशिए पर गए लोगों तक पहुंचने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
पोप ने 12 नैजवान कैदियों के पैरों को धोया और उन्हें चूमा भी। बाइबिल में कहा गया है कि ईसा मसीह ने खुद को सलीब पर चढ़ाए जाने से एक दिन पहले 12 Religion messengers के पैरों को इसी तरह धोया था।
पोप फ्रांसिस ने जिन कैदियों के पैरों को धोया उनमें दो लड़कियां भी शामिल थीं। इनमें एक इतालवी कैथोलिक थी तो दूसरी सर्बियाई असल की एक मुस्लिम लड़की थी।
उधर ईस्टर से पहले इस मुकद्दस हफ्ते में होने वाले प्रोग्रामों में हिस्सा लेने के लिए हजारों लोग वेटिकन पहुंच रहे हैं।
इससे पहले पोप ने अपने पैगाम में कहा था कि पादरी अपनी “रूह की तलाश का काम कम करें और Devotees पर ज्यादा ध्यान दें।”
उन्होंने कहा, “हमें बाहर निकलने की जरूरत है। बाहरी इलाकों में जाएं जहां दुख-तकलीफे, खूनखराबा है।”
बीबीसी के रोम नामानिगार डेविड विली का कहना है कि नए पोप वैटिकन में सादगी को बढ़ावा दे रहे हैं।
कैदियों के पैर धोकर भी उन्होंने नई मिसाल कायम की है। इससे पहले ये रस्म रोम की किसी बेसेलिका में आम लोगों के पैर धो कर पूरा कर लिया जाता था।