प्रजापति एंकाउंटर मुक़द्दमा आई पी एस ओहदेदार की ज़मानत मुस्तर्द

नई दिल्ली, ०७ नवंबर (पीटीआई) सुप्रीम कोर्ट ने आज गुजरात के मुअत्तल आई पी एस ओहदेदार जिन्हें तुलसी राम प्रजापति जाली एनकाउंटर मुक़द्दमा का सामना है दरख़ास्त ज़मानत मुस्तर्द कर दी । चीफ जस्टिस की ज़ेर ए सदारत बंच ने शीतल प्रसाद अग्रवाल की दरख़ास्त ज़मानत मुस्तर्द ( निरस्त) कर दी क्योंकि सी बी आई मुक़द्दमा में मुक़र्ररा मुद्दत के अंदर फ़र्द-ए-जुर्म ( अपराध सूची) पेश करने से क़ासिर रहा है।

अग्रवाल को रियासती सी आई डी ने 3 मई 2010 को गिरफ़्तार किया था। बादअज़ां मुक़द्दमा की तहकीकात सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर सी बी आई के सपुर्द कर दी गई थी । बंच ने अदा‍ किया कि ताज़ा एफ आई आर दर्ज करने और ताज़ा तहकीकात करने के बावजूद सी बी आई ने फ़र्द-ए-जुर्म 90 दिन की मुक़र्ररा मुद्दत में फ़र्द जुर्म पेश नहीं किया।

मुल्ज़िम को ज़मानत पर रिहाई का हक़ फ़र्द-ए-जुर्म पेश करने के बाद ही हासिल हो सकता है । अदालत ने कहा कि फ़िलहाल साबिक़ फ़र्द-ए-जुर्म बरक़रार है क्योंकि इसे मंसूख़ (निरस्त) नहीं नहीं किया गया है। सी बी आई के बमूजब ( मुताबिक) प्रजापति सुहराब उद्दीन शेख जाली एनकाउंटर मुक़द्दमा का एक गवाह था जिन्हें वसीअ तर ( विशाल ) साज़िश के तहत क़त्ल कर दिया गया।

सुहराब उद्दीन और इस की बीवी कौसर बी को गुजरात की ए टी एस ने हैदराबाद से अग़वा कर के नवंबर 2005 में जाली ए‍काउंटर में हलाक कर दिया था।