प्रधानमंत्री का म्यांमार यात्रा : मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के मकबरे का दर्शन करने जाएंगे रंगून

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपनी म्यांमार यात्रा के दूसरे दिन भारत के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के मकबरे पर जायेंगे. बहादुर शाह जफर की छवि एक धर्मनिरपेक्ष बादशाह की है और अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह के वे एक अहम किरदार थे. इसके बाद ही उनके बेटों व पोतों की अंग्रेज अधिकारियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी और उन्हें बादशाह को बंदी बनाकर म्यांमार के रंगून ले गये, जहां सात नवंबर 1862 को उनकी मृत्यु हो गयी.

1837 में ही बादशाह बने बहादुर शाह जफर को उनकी मृत्यु के बाद उन्हें रंगून के श्वेडागोन पैगोडा के निकट दफनाया गया. भारत से म्यांमार का दौरा करने वाला अहम शख्स सामान्यत: उनके मजार पर जाता ही है.

बहादुर शाह जफर ऐसे मुगल शासक हैं, जिनके नाम पर भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में सड़कें, भवन या पार्क हैं हीं. यह उनके प्रति कभी एक रहे तीनों देशों के सम्मान का प्रकटीकरण भी है.

दिलचस्प यह कि नरेंद्र मोदी के शासन में आने के बाद दिल्ली की सड़कों पर एनडीएमसी ने कुछ जगहों से मुगल बादशाह का नाम हटाया था. इसमें औरंगजेब प्रमुख हैं. 2015 के सितंबर महीने में दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदल कर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम रोड नाम कर दिया गया. इसे पूर्व राष्ट्रपति व महान देशभक्त डॉ कलाम के प्रति सम्मान के रूप में और औरंगजेब के क्रूर शासन को नकारने के रूप में देखा गया.

इसी तरह पहले मुगल बादशाह बाबर के नाम रोड को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. दिल्ली भाजपा से जुड़े कुछ लोग इस पर सवाल उठा चुके हैं और राजपूताना रायफल के शहीद उमर फैयाज के नाम पर करने की मांग कर चुके हैं. डलहौजी रोड का नाम एक अन्य उदार मुगल बादशाह दारा शिकोह के नाम पर किया गया है.