परमोशन में एससी व एसटी के सरकारी मुलाज़िमीन को रिजेर्वेशन का फाइदा नहीं मिलेगा। पीर को पटना हाईकोर्ट ने रियासती हुकूमत के साल 2012 में जारी अहद को मुस्तर्द कर दिया। जेनरल इंतेजामिया महकमा ने अहद जारी कर सरकारी सर्विस में प्रोमोशन में एससी व एसटी के मुलाज़िमीन को वरीयता समेत रिज़र्वेशन का फाइदा देने की हिदायत जारी किया था। इसकी चैलेंज को सुशील कुमार सिंह और दीगर ने चुनौती दी थी।
जस्टिस वी नाथ की एकल बेंच ने मामले की सुनवाई कर हुक्म को महफूज़ कर लिया था। दरख्वास्त देहिंदगान के वकील विंध्याचल सिंह ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट की कानूनी बेंच ने एम नागराज केस में रिजेर्वेशन की तौसिह खुलासा की है। बेंच के फैसले के ओपोजीट कोई भी रियासत प्रोमोशन में रिजेर्वेशन नहीं दे सकता। एससी-एसटी मुलाज़िमीन को प्रोमोशन में रिजेर्वेसन देने के लिए तीन नुक्ते मुकर्रर किए गए हैं।
पसमानदा, और एडमिनिस्टरेटिव कुमत इसी बुनियाद पर प्रोमोशन देने का फैसला लिया जाना था। रिजेर्वेशन के लिए फ्लाह बोहबुद महकमा से अदाद व शुमार मांगे गए। जो अदाद दिए गए वे सही नहीं थे। हुकूमत ने अदाद पर गौर कर एससी-एसटी मुलाज़िमीन को पासमानदा पाया। साथ ही सरकारी सेवा में इस जाति के मुलाज़िमीन की तादाद कम आँका गया, जबकि हकीकत कुछ और है। महकमा ने जो अदाद पेश किए वे सही से परे हैं। सरकार ने प्रोमोशन में रिजेर्वेशन देने का जो फैसला लिया है, वह गलत है।