अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू झारखंड ने वजीरे आला, वजीरे तालीम को मेमोरेंडम पेश किया और कहा के ये इंतेहाई अफसोसनाक है के प्राइमरी उर्दू टीचर के कोई साढ़े चार हज़ार के करीब ओहदे जो गैर मुंकिस्म रियासत बिहार में मंजूर किए गए थे और इसके लिए 15 करोड़ रुपए भी मुखतीस किए गए थे। उन पर रियासत की क़याम के 15 साल गुज़र जाने के बाद भी बहाली के अमल में कोई पेश रफ़त नहीं हो सकी। वाज़ेह हो के ये ओहदे इस लिए मंजूर किए गए थे के रियासत के मुखतलिफ़ अजला में जहां एक स्कूल में कम अज़ कम दस उर्दू पढ़ने वाले बच्चे हों वहाँ उर्दू पढ़ाने के लिए एक उर्दू टीचर लाजिमन बहाल किया जाए।
हुकूमत झारखंड अगर चे इस मामले में बेइंतेहाई बरतती रही मगर वही गुजिशता 21 फरवरी 2014 को जो माली बजट पेश किया गया है उसमें ये ऐलान सामने आया के उर्दू असातिज़ा की तकर्रुरी कारवाई शुरू की जा चुकी है। मगर हुकूमत का ये ऐलान हक़ीक़तन मुहहीम है और जहां तक हमें मालूम है इस सिलसिले में बाज़ाबता अमली इकदमात शुरू नहीं किए गए हैं। अंजुमन ने इस बाबत वजीरे आला और वजीरे तालीम को अलग-अलग अर्ज़दास्तें पेश करके ज़ोर दिया है के मजकुरह ओहदों को आइंदा जेनरल एलेक्शन के ऐलान से कबल मार्च तक लजीमन कर दिया जाए ताकि उर्दू की इब्तेदाई तालीम का नेज़ाम जो बरसों से मूअतिल है इसे बहाल और दुरुस्त करने की राह हमवार की जाये।