नॉन प्रैक्टिसिंग अलोवेंस लेने के बावजूद प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे आइजीआइएमएस के डॉक्टरों पर अब निगरानी की नजर रहेगी। सेहत महकमा को ऐसे 84 डॉक्टरों की फेहरिस्त मिली है, जो आइजीआइएमएस से बाहर दूसरे ज़ाती अदारों को अपनी खिदमत दे रहे हैं। ज़ाती महकमा अफसरों के मुताबिक ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सेहत महकमा सख्त कदम उठाने जा रहा है। उनकी मानें, तो ऐसे तमाम डॉक्टरों की खिदमत खत्म भी हो सकती है। इसे लेकर कार्रवाई की पॉलिसी भी तैयार कर ली गयी है। तमाम डॉक्टरों की रिपोर्ट तैयार कर उसका तसदीक़ ज़ाती महकमा की तरफ से कराया जा रहा है।
अदारे में रहने का वक़्त
दस्तूरुल अमल के मुताबिक डॉक्टरों को साढ़े आठ बजे से साढ़े चार बजे तक अदारे में रहना है। वहीं इंतेजामिया अफसरों को नौ बजे से पांच बजे तक रहना हैं।
इन जगहों पर जाते हैं डॉक्टर
अगमकुआं, गोलघर, राजा बाजार, महावीर कैंसर संस्थान के सामने फुलवारी, हाजीपुर, बक्सर, अनिसाबाद, राजेंद्र नगर, अशोक राजपथ स्थित नर्सिग होम, बहादुरपुर गुमटी स्थित नर्सिग होम, दादी मंदिर स्थित नर्सिग होम, राजेश्वर हॉस्पिटल, मगध हॉस्पिटल वगैरह जगहों पर।
कुछ डॉक्टर करते हैं नाम खराब
पहले से सेहत महकमा और अदारे के डाइरेक्टर की तरफ से दिये गये सख्त हिदायता के बावजूद आइजीआइएमएस के डॉक्टर ज़ाती प्रैक्टिस कर रहे हैं। अदारे में कुल 140 डॉक्टर हैं, जिनमें से 84 के ज़ाती प्रैक्टिस में मौलूसीयत होने की जानकारी मिली है। अदारे के डॉक्टरों को बाहर खिदमत देने पर पूरी तरह से पाबंदी है। बाहर प्रैक्टिस करने वाले तमाम डॉक्टर या तो किसी ज़ाती नर्सिग होम में काम करते हैं या खुद का क्लिनिक खोल कर मरीजों का इलाज करते हैं।
अदारे का कानून डॉक्टरों को नॉन प्रैक्टिीशिंग अलावेंस दिया जाता है। अदारे के दस्तूरुल अमल 1984 के तहत बिहार हुकूमत की तरफ से अदारे को मेडिकल साइंस के शोबे में बेहतर अदारा का ऐलान किया है। एआईएमएस, नई दिल्ली के तर्ज पर अदारे के डॉक्टरों, ओहदेदारों और मुलाज़िमीन को तंख्वाह समेत दीगर सहूलते दी जा रही हैं।