प्रिंस एंड्रयू नागालैंड की सक़ाफ़्त और मेहमान नवाज़ी से बेहद मसरूर

वज़ीर-ए-आला नागालैंड लफ़ीव रियो को बनघम पैलेस से एक मकतूब (लिखा हुआ खत) मौसूल हुआ है जिस में ये कहा गया है कि ड्यूक आफ़ पार्क प्रिंस एंड्रयू जिन्होंने यक्म मई को नागा रियासत का दौरा किया था, वो नागा अवाम के ज़रीया उन्हें दीए जाने वाले इस्तिक़बालीया से वो बेहद मुतास्सिर (प्रभावित) हुए ।

मकतूब में कहा गया है कि नागा अवाम ने उन की ख़ातिर ख़वारात में कोई कसर उठा ना रखी । अवामी सतह के इलावा वज़ीर इटली की जानिब से मुनज़्ज़म ( संघठित) किया गया इस्तिक़बालीया भी उनके (प्रिंस )शायान-ए-शान था ) तकाफ़ती प्रोग्राम के दौरान नागा अवाम के रक़्स ,पोशाक और मूसीक़ी ( गाना) ने इन का दिल मोह लिया ।

वज़ीर-ए-आला के दफ़्तर से आज प्रिंस एंड्रयू के मकतूब को मीडीया के सामने पेश किया गया । मकतूब में ये भी तहरीर ( लिखा )किया गया है कि सक़ाफ़्ती प्रोग्राम में नौजवानों को देख कर प्रिंस एंड्रयू बाग़ बाग़ हो गए और उन्होंने तवक़्क़ो (आशा/ उम्मीद
) भी ज़ाहिर की कि इन की मौजूदगी से बर्तानिया और नागालैंड के नौजवानों में बाहमी रवाबित फ़रोग़ पाएंगे ।

नागालैंड के पास सक़ाफ़्त का एक अनमोल ख़ज़ाना है जो बर्तानवी नौजवानों को भी अपनी जानिब ज़रूर राग़िब करेगा । प्रिंस एंड्रयू ने कहा कि हेमा में जंगी सूरमाओं के क़ब्रिस्तान में इन सूरमाओं को गुलहाए अक़ीदत (श्रद्वा) पेश करने का भी मौक़ा मिला जिन्होंने जंग के दौरान अपनी क़ीमती जानों की क़ुर्बानी दी ।

प्रिंस एंड्रयू के मुताबिक़ क़ब्रिस्तान में गुलहाए अक़ीदत पेश करना इनके लिए किसी एज़ाज़ ( इज़्ज़त) से कम नहीं था । वज़ीर-ए-आला के साथ उन्हों ने मलिका बर्तानिया की जानिब से भी गुलहाए अक़ीदत (श्रद्वा) पेश किए । प्रिंस एंड्रयू ने अपने मकतूब ( खत) में आगे चल कर तहरीर किया है कि दूसरी जंग-ए-अज़ीम का म्यूज़ीयम का दौरा भी इनके लिए किसी एज़ाज़ से कम नहीं था जहां उन्हें जंग में बच जाने वाले कई बहादुर सिपाहीयों से मुलाक़ात का भी मौक़ा मिला जो अब ज़ईफ़ ( बूढे) हो चुके हैं ।

याद रहे कि जापान के ख़िलाफ़ दूसरी जंग-ए-अज़ीम में बर्तानवी और हिंदूस्तान फ़ौजों ने डट कर मुक़ाबला करते हुए अपनी क़ीमती जानें निछावर कर दी थीं ।