फरजी तसादम मामला : थानेदार शम्शे आलम को फांसी, सात को उम्रकैद

बारह साल पहले फरजी तसादम में तीन तालिबे इल्म की कत्ल मामले में एक मुक़ामी अदालत ने मंगल को पटना जिले के शास्त्रीनगर थाने के मौजूदा इंचार्ज को फांसी और एक पुलिस समेत सात दीगर पुलिस मुलाज़िमीन को उम्रकैद की सजा सुनायी है। फौरी अदालत के जस्टिस रविशंकर सिन्हा ने मामले में शम्शे आलम को फांसी और अरुण कुमार सिंह को ताउम्र आजीवन कारावास और कमलेश कुमार गौतम, राजू रंजन, सोनी रजक, कुमोद कुमार, राकेश कुमार मिश्र व अनिल को उम्रकैद की सजा सुनायी है। तमाम मुजरिम के खिलाफ दंड भी लगाया गया है।

सीबीआइ जांच

इस मामले की जांच का जिम्मा जुर्म तहक़ीक़ात महकमा को दिये जाने के बाद उसे सीबीआइ को ट्रांसफर कर दिया गया। इस मामले में कुल 33 लोगों ने गवाही दी। शम्शे आलम 2003 से जेल में बंद हैं, जबकि बाकी दीगर सात मुल्ज़िम को अदालत की तरफ से गुजिशता पांच जून को मुजरिम करार दिये जाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था।

28 दिसंबर 2002 की वाकिया

28 दिसंबर, 2002 को शास्त्रीनगर थाने के आशियानानगर इलाके में एक बाजार में फरजी तसादम में तीन तालिबे इल्म विकास रंजन, प्रशांत सिंह और हिमांशु शेखर की कत्ल कर दी गयी थी। इनपर एक एसटीडी बिल की रकम की अदायगी को लेकर टेलीफोन बूथ ऑपरेटर और इन तालिबे इल्म के दरमियान हुई झड़प के दौरान मार्केट के दीगर दुकानदारों के साथ मिल कर पिटाई करने का इल्ज़ाम था। वाकिया के बारे में जानकारी मिलने पर पुलिस अरुण कुमार सिंह के साथ जाये हदसा पहुंचे। आलम ने इन तालिबे इल्म के सिर में गोली मारने के बाद उन्हें डकैत के तौर में पेश किया। मामले के इत्तिला देने वाले मरहूम तालिबे इल्म में से एक विकास रंजन के भाई मुकेश रंजन थे।