फर्जी एनकाउंटर: वक़ार और साथियों को बरी होने का पूरा यक़ीन था

हैदराबाद: (सियासत न्यूज़)(तहक़ीक़ात में ख़ामीयों का इन्किशाफ़ फ़ैसले से क़बल एनकाउंटर) नालगोंडा के इलाक़ा आलीर में पुलिस फ़र्ज़ी एनकाउंटर में हलाक होने वाले वक़ार अहमद और इसके साथियों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए कांस्टेबल क़त्ल केस में बरी होना तक़रीबन तय था।

14 मई 2010 को शाह अली बंडा इलाक़ा में पुलिस पिकेट पर तैनात पुलिस कांस्टेबल रमेश को मुबय्यना तौर पर गोली मार कर हलाक करने के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार वक़ार अहमद और इस के छः साथीयों के ख़िलाफ़ सातवें एडीशनल मेट्रोपोलैटिन सेशन जज के इजलास पर केस की समाअत जारी थी और स्पैशल इंवेस्टीगेशन टीम की जानिब से तहक़ीक़ात की कई ख़ामीयों का इन्किशाफ़ हुआ था।

हुसैनीआलम पुलिस ने कांस्टेबल रमेश क़त्ल केस के सिलसिला में क़त्ल का मुक़द्दमा दर्ज करते हुए बादअज़ां इस केस की तहक़ीक़ात को स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम के हवाले कर दिया था और वकील दिफ़ा की जानिब से इस केस के गवाहों पर ज़िरह किए जाने और मुल्ज़िमीन का बरी होना तक़रीबन तय होने के पेशे नज़र तेलंगाना पुलिस उलझन का शिकार हो गई थी।

आए दिन केस की समाअत के दौरान वक़ार की अदालत में मौजूदगी के दौरान नामपल्ली क्रिमनल कोर्ट के अतराफ़ वाकनाफ़ इलाक़ों में भारी पुलिस फ़ोर्स तैनात किया जाता था और ये शक किया जाता था कि वो पुलिस तहवील से फ़रार हो सकता है।

जेल से लेकर अदालत को मुंतक़ली तक इस्कार्ट पार्टी उस की हर नक़ल-ओ-हरकत पर कड़ी नज़र रखती थी और नवंबर साल 2013 में पुलिस ने जंगाव के क़रीब पुलिस पार्टी पर मुबय्यना तौर पर हमला करने के इल्ज़ाम में एक मुक़द्दमा दर्ज किया गया था और उन्हें सेक्योरिटी की वजूहात पर वरंगल जेल मुंतक़िल कर दिया गया था और केस की समाअत के दौरान रोज़ाना सख़्त सेक्युरिटी के तहत हैदराबाद लाया जाता था |