तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में कोर्ट में पेश न होने पर सीबीआई की खुसूसी अदालत ने भाजपा लीडर व गुजरात के साबिक वज़ीर ए दाखिला अमित शाह को जुमे के रोज़ फटकार लगाई है।
साल 2006 के इस मामले में गुजश्ता नौ मई को कोर्ट ने शाह व दिगर मुल्ज़मीन को समन जारी किया था। कोर्ट ने शाह की तरफ से बिना कोई वजह बताए गैर हाज़िर रहने और पेशी के दौरान छूट मांगने पर नाखुशी जाहिर की।
यह मामला इसी साल गुजरात से मुंबई मुंतकिल किया गया है। मामले में शाह ने अपने वकील के जरिये बगैर कोई वजह बताए पेशी से फिर छूट मांगे थें।
जब सीबीआई के वकील बीपी राजू ने इसकी मुखालिफत की तो सीबीआई के खुसूसी जज जेटी उत्पट ने कहा कि बगैर कोई वजह बताए हर बार आप पेशी से छूट का दरखास्त दे रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने शाह के दरखास्त पर पेशी से छूट की इजाजत दे दी। मामले की सुनवाई अब चार जुलाई को होगी।
इससे पहले छह जून को कोर्ट ने छूट की दरखास्त कुबूल करते हुए सुनवाई 20 जून तक के लिए टाल दी थी. शाह की दरखास्त में उनके वकील रोबिन मोगेरा ने कहा था कि शाह दिल्ली में सियासी काम में मशरूफ हैं, इसलिए वह अदालत में पेश नहीं हो पाएंगे।
सीबीआई ने मामले में शाह और दिगर 18 मुल्ज़िमों के खिलाफ सितंबर 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी। मुल्ज़िमो में कई पुलिस आफीसर भी शामिल हैं। सीबीआई के मुताबिक सोहराबुद्दीन शेख और उसकी बीवी कौसर बी का गुजरात के Anti-Terrorism Squad ने उस वक्त अगवा कर लिया था जब वे हैदराबाद से महाराष्ट्र में सांगली जा रहे थे।
दोनों को नवंबर 2005 में गांधीनगर के पास मुबय्यना तौर पर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। दावा किया गया था कि शेख का राबिता पाकिस्तानी दहशतगर्द लश्कर-ए-तैयबा से था। इल्ज़ाम है कि मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम प्रजापति को पुलिस ने दिसंबर 2006 में गुजरात के बनासकांठा जिले के चापरी गांव में मार दिया था।
अमित शाह उस वक्त रियासत गुजरात के वज़ीर ए दाखिला थे और वह दोनों वाकिया में मुबय्यना तौर पर शामिल थे।