फलस्तीन के समर्थन में खुलकर आया सऊदी अरब, किया यह ऐलान, इजरायल के लिए मुश्किल!

सऊदी प्रेस एजेंसी ने शुक्रवार की रात को बताया कि, सऊदी अरब ने अरब राष्ट्र (उम्माह) के लिए “फिलिस्तीनी मुद्दे” की पर बल दिया है और कहा कि, सऊदी अरब के लिए इस वक़्त सबसे अहम मुद्दा “फिलिस्तीन” है। येरूशलम की अरब पहचान अल-क़ुदस अल-शारीफ है। इजराइल ने फिलीस्तीनी राज्य की सभी फिलिस्तीनी ज़मीन पर 1967 कब्जा कर लिया था।

सऊदी ने 30 मार्च 2018 की घटनाओं और निम्नलिखित घटनाओं की जांच पर अंतर्राष्ट्रीय जांच आयोग की स्थापना की मांग की है। सऊदी अरब ने फिलिस्तीन से जबरन निकालने वाले नागरिक के साथ इजराइल जो अत्याचार कर रहा है उसकी निंदा की। साथ ही इजराइल ने गाज़ा सीमा पर कई बेगुनाह फिलिस्तीनियों को मौत के घाट उतारा है।

सऊदी गेजेट के मुताबिक, सऊदी का फिलिस्तीन को यह समर्थन देना भाषण में सामने आया, जो यूएन राजदूत अब्दुल्लाह अल-मुल्लामी के सऊदी के स्थायी प्रतिनिधि द्वारा गुरुवार को फिलीस्तीनी मुद्दे समेत मिडिल ईस्ट पर खुले चर्चा सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष पेश किया गया था।

अल-मुल्लामी ने इजराइल सैनिकों ने 40 फिलिस्तीनी बच्चों को गोली मार दी, जिनमें ज्यादातर बच्चों की उम्र 14 साल है। ये बच्चे शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे और अपने राष्ट्रीय गीतों का जप करते थे।

फिलिस्तीनियों को जीने का अधिकार, आत्मनिर्भरता का अधिकार और यरूशलेम के साथ अपनी स्वतंत्र स्थिति स्थापित करने के अलावा कुछ भी नहीं कर रहे फिर भी इजराइल द्वारा उन्हें मारा जा रहा है।

अल-मुल्लामी ने फिलीस्तीनी लोगों की सुरक्षा, विशेष रूप से 1987 के संकल्प और 1994 के संकल्प 904 के प्रस्तावों से संबंधित अपने प्रस्तावों को लागू करने के लिए सुरक्षा परिषद की मांग की। उन्होंने 30 मार्च की घटनाओं की जांच के लिए जांच के एक अंतरराष्ट्रीय आयोग के गठन की भी मांग की।