ख्वातीनो की फहश तस्वीर एमएमएस या ईमेल भेजने पर अब कम से कम तीन साल की सजा और जुर्माना भी भरना पड़ेगा। ख्वातीनो की फहश तस्वीर पेश करने पर रोक से मुताल्लिक कानून (महिला अशिष्ट रुपण प्रतिषेध अधिनियम, 1986)में तरमीम(संशोधन)पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। तरमीम के मुताबिक टीवी प्रोग्राम् और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के ज़राए (Medium/माध्यम) भी अब इस कानून के दायरे में आएंगे।
वज़ीर ए आज़म मनमोहन सिंह की सदारत (अध्यक्षता) में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस तरमीम बिल (संशोधन विधेयक ) को मंजूरी दी गई। कानून में प्रस्तावित (Proposed/मौजूज़ह) तरमीम (संशोधन/Correction/ सुधार) के मुताबिक पहली मरतबा कसूरवार पाए जाने पर मुल्ज़िम को ज्यादा से ज्यादा तीन साल की कैद और 50 हजार से एक लाख रुपए तक की सजा का बंदोबस्त (Provision/प्रावधान) किया गया है। दूसरी बार कुसूर करने वालों को 2 से 7 साल की सजा और एक से पांच लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। तरमीम (संशोधन) के बाद इंस्पेक्टर रैंक और इसके उपर के आफीसर ऐसे मामलों में तलाशी और जब्ती कर सकेंगे।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक इस तरमीम (संशोधन/ सुधार) का मकसद इंटरनेट या एस एम एस के जरिए ख्वातीनो के खिलाफ फहश तस्वीर को रोकना है। जब इस कानून को बनाया गया था तब इसके तहत सिर्फ प्रिंट मीडिया की मवाद (सामग्री) आती थी।
गौरतलब है कि इसकी बुनियाद ऐक़्ट (अधिनियम) 1986 में प्रिंट मीडिया, इस्तेहारात, इशात (प्रकाशन), मजमून और् अक़ाशी (लेख और चित्रण) में ख्वातीनो को बेहयाई (Indecency/ अनुचित) के साथ पेश किये जाने पर रोक लगाने के लिए तैयार किया गया था।
इस कानून में हुकूमत ने पिछले 26 सालों में पहली दफा तरमीम (संशोधन/ सुधार) की है। कैबिनेट की इस मुहर के बाद अब नया तरमीम बिल संसद के सर्द सेसन (Winter Session) में पेश किया जाएगा।