फ़लस्तीनी क़ैदीयों की रिहाई

मशरिक़ वुसता में ईसराईलीयों की सलामती केलिए आलमी ताक़तें हर मुम्किना मदद करने तैय्यार हैं। इस यहूदी मुल़्क की बक़ा का दार-ओ-मदार आलिम अरब के रहम-ओ-करम पर है, मगर आलिम अरब की अपनी नादानियां या मजबूरियां हैं कि इन की सरज़मीन पर यहूदीयों ने अपना क़बज़ा मज़बूत कर लिया है।

मशरिक़ वुसता में यहूदी ज़ुलम-ओ-ज़्यादतियों का सब से ज़्यादा शिकार फ़लस्तीनी अवाम हुए हैं। इस के बावजूद आलमी सतह पर बड़ी ताक़तों ने फ़लस्तीनीयों की आज़ादी को सल्ब कर लेने वाले इक़दामात की हिमायत की है।

1967ए- से जारी बदअमनी की कैफ़ीयत के दरमयान इसराईल ने अपने तौसीअ पसंदाना अज़ाइम में कामयाबी हासिल कर ली। एक तरफ़ फ़लस्तीनीयों के साथ नाम निहाद अमन कोशिशों को जारी रखा गया तो दूसरी तरफ़ फ़लस्तीनीयों का अर्सा हयात तंग करने वाले इक़दामात किए गई।

मशरिक़ वुसता में मुअत्तल शूदा अमन मसाई को बहाल करने आलमी ताक़तों की कोशिशों के हिस्सा के तौर पर हम्मास के साथ इसराईल ने असीरान ज़िन्दां के तबादलों और रिहाई का मुआहिदा किया। इस मुआहिदा के तहत एक इसराईली सिपाही गिलाद शालीत की रिहाई के इव्ज़ 1027 फ़लस्तीनीयों की रिहाई के लिए हम्मास के मुतालिबा को क़बूल कर लिया गया। इसराईल ने मुआहिदा के मुताबिक़ अपने एक सिपाही की रिहाई के बाद फ़लस्तीनी मुजाहिदीन को जेल से रहा करने का अमल शुरू किया है।

पहले मरहले में 477 फ़लस्तीनी क़ैदी इसराईल की जेलों से रहा करदिए गए जो ग़ज़ा पट्टी और मग़रिबी किनारा पहुंच कर अपने रिश्तेदारों में शामिल हो चुके हैं।

दूसरा मरहला चंद हफ़्तों बाद शुरू होगा जिस में 550 फ़लस्तीनी क़ैदीयों को रिहा किया जाएगा। इसराईल की निगाह में एक इसराईली यहूदी सिपाही का तवाज़ुन एक हज़ार 27 फ़लस्तीनीयों से किया जा रहा है। इसराईल ने इस वक़्त अपने सिपाही गिलाद शालीत की रिहाई के लिए हम्मास के साथ जिस तरह का मुआहिदा किया है , वो एक खु़फ़ीया साज़िश का हिस्सा मालूम होता है ताहम आलमी क़ाइदीन ने इस मुआहिदा को इलाक़ा में अमन-ओ-अमान की सूरत-ए-हाल बहाल करने केलिए अहम क़रार दिया है।

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के सैक्रेटरी जनरल बांकी मून ने तवक़्क़ो ज़ाहिर की कि इसराईल , फ़लस्तीनी क़ैदीयों का तबादला से मशरिक़ वुसता में देरीना क़ियाम अमन की राह हमवार होगी। हम्मास और इसराईली हुकूमत के जज़बा से मशरिक़ वुसता की मुअत्तल शूदा अमन मसाई पर दूररस असरात मुरत्तिब होंगी।

मशरिक़ वुसता तेज़ तर अमन मसाई के लिए अमरीका, योरोपी यूनीयन ,अक़वाम-ए-मुत्तहिदा और रूस ने मुज़ाकरात का आग़ाज़ कर दिया है लेकिन मशरिक़ वुसता की बुनियादी ज़रूरत को नजरअंदाज़ करके मुज़ाकरात की मसाई का मतलब फ़लस्तीनीयों के हुक़ूक़ को कमज़ोर करना ही। इस लिए फ़लस्तीनीयों ने आने वाले आलमी सहि रुख़ी मुज़ाकरात में असरईइल के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया। मशरिक़ वुसता अमन मुज़ाकरात के लिए 23 सितंबर से ही कोशिश की जा रही हैं।

गुज़श्ता दिनों सदर फ़लस्तीन महमूद अब्बास ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में फ़लस्तीन को मुकम्मल रुकनीयत देने की दरख़ास्त की थी। इस के बाद फ़लस्तीनीयों और ईसराईलीयों के दरमयान मुअत्तल शूदा अमन मुज़ाकरात के लिए ज़ोर दिया जा रहा है।

अमरीका, योरोपी यूनीयन, अक़वाम-ए-मुत्तहिदा और रूस पर मुश्तमिल ग्रुप ने मुज़ाकरात के लिए एक तरीका-ए-कार और एजंडा भी तैय्यार किया है मगर ये एजंडा फ़लस्तीनीयों की आरज़ोॶं के मुनाफ़ी हो तो अमन के क़ियाम की तवक़्क़ो फ़ुज़ूल होगी।

आज़ादी फ़लस्तीन पर यहां के अवाम के मौक़िफ़ से तवज्जा हटाने के लिए इसराईली सिपाही की रिहाई के इव्ज़ 1027 फ़लस्तीनीयों की रिहाई के मुआहिदा से मसाइल का कोई देरपा हल नहीं निकल सकता।

फ़लस्तीनी अवाम जब हुकूमत इसराईल को तस्लीम करने तैय्यार नहीं हैं तो इस के अमन मक़ासिद का भी कोई मतलब नहीं होगा। इसराईल के क़ाइदीन की एक ही खु़फ़ीया राय ये है कि वो मशरिक़ वुसता के हिस्सा बख़रे करके यहां बदअमनी की आग भड़काना चाहते हैं।

अगर मशरिक़ वुसता या आलम अरब में इस्तिहकाम रहा तो वो अपने वसाइल के ज़रीया ऐसी क़ुव्वत बन जाऐंगे कि इसराईल को सफ़ा हस्ती से मिटाने इन का अज़म एक दिन पूरा होगा। इस लिए इसराईल ,आलिम अरब में तेज़ी से अपनी ताक़तों को मुजतमा करने वाले मुलक सूडान के हिस्सा बख़रे करने में कामयाब हो गया।

सूडान क़ुदरती वसाइल से मालामाल मुलक है। अगर आलम अरब में इस की क़ुव्वत से इस्तिफ़ादा किया जाता तो एक नई ताक़त उभर सकती थी मगर आलमी ताक़तों ने इस मुल्क को कमज़ोर करके ये इशारा दिया था कि इसराईल के अज़ाइम के आगे कोई ताक़त टिक नहीं सकेगी।

इसराईल का हर मंसूबा और हर मुआहिदा जंगी हिक्मत अमलियों का हिस्सा होता है। आज इस ने अपने एक सिपाही के इव्ज़ 1027 फ़लस्तीनीयों को रिहा करने का मुआहिदा किया है तो ये इस का खु़फ़ीया मिशन ही होगा।

एक बड़ी आबादी के क़ियाम केलिए उसे छोटे छोटे मुआहिदा करने हैं। इस के तौसीअ पसंदाना अज़ाइम को रोकने के लिए कोई तवज्जा नहीं दे रहा है। अगर चीका फ़लस्तीनीयों की रिहाई का अमल एक गोशे को ख़ुश कर सकता है, मगर मुस्तक़बिल में एक बड़े ख़सारे से दो-चार करदिया जा सकता है।

क़ैदीयों की रिहाई के मुआहिदा की अफ़रातफ़री में ये नहीं भूलना चाहीए कि इसराईल अपने मक़ासिद केलिए फ़लस्तीनीयों को मसाइल से नजात दिलाने केलिए आगे नहीं आएगा लेकिन आलमी सतह पर रौनुमा होने वाली तबदीलीयों के तनाज़ुर में इस एक नुक्ता पर ग़ौर मुम्किन है कि इसराईल भी अब नरम मौक़िफ़ इख़तियार करने केलिए मजबूर हो रहा है या उसे मजबूर करदिया गया है क्योंकि इसराईल की सरपरस्ती करनेवाली ताक़तें कसादबाज़ारी का शिकार हैं।

यूरोज़ोन का बोहरान , आलमी मआशी बदहाली के बढ़ते ख़तरात से अमरीका के बिशमोल कई मुल्कों को अपने अवाम की फ़िक्र लाहक़ हो गई है। ऐसे में इसराईल के जारहीयत पसंदाना अज़ाइम का साथ देने में पिस-ओ-पेश किया जा रहा ही। इस लिए फ़लस्तीनीयों केसाथ पुरअमन तरीक़ा से मुआमलत रखना एक वक़्त मुक़र्ररा का मंसूबा है।