अक़वाम-ए-मुत्तहिदा 26 अक्टूबर । ( पी टी आई ) ये उमीद ज़ाहिर करते हुए कि फ़लस्तीनी दरख़ास्त बराए अलहदा ममलकत को अक़्वाम मुत्तहदा में मंज़ूरी अता करने का अमल आजलाना तौर पर मुकम्मल करलिया जाएगा , हिंदूस्तान ने आज कहा कि आलमी इदारे केलिए फ़लस्तीन की रुकनीयत किसी अमन मुआहिदा पर मशरूत नहीं होनी चाहिए।
हिंदूस्तान ने फ़लस्तीनी ममलकत की दरख़ास्त के लिए अपनी ताईद का इआदा करते हुए कहा कि जमहूरीयत और बुनियादी हुक़ूक़ के एहतिराम के लिए बैन-उल-अक़वामी बिरादरी की अपील खोखली साबित होगी अगर मौजूदा तात्तुल यूंही बरक़रार रहता है और फ़लस्तीनीयों को उन की वाजिबी ख़ाहिशात से महरूम रखा जाता है।
मुमलिकती वज़ीर बराए उमोर ख़ारिजा ई अहमद ने सलामती कौंसल में मशरिक़ वुसता और फ़लस्तीन की सूरत-ए-हाल के बारे में मुबाहिस में हिस्सा लेते हुए कहा कि हम फ़लस्तीन की रुकनीयत बराए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा को किसी अमन मुआहिदा से मशरूत नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा करना क़ानूनी तौर पर वाजिबी नहीं रहेगा और हम इस देरीना मसला की यकसूई केलिए रास्त बातचीत के अहया की भी ताईद करते हैं।
उन्होंने कहा कि हिंदूस्तान जो ममलकत फ़लस्तीन को 1998 -ए-में तस्लीम करने वाला पहला ग़ैर अरब मुल्क रहा है , उसे उम्मीद है कि फ़लस्तीनी दरख़ास्त पर अमल तेज़ी से मुकम्मल करलिया जाएगा क्योंकि फ़लस्तीन रुकनीयत केलिए यू एन चार्टर में मिस्र हा कसौटी की तकमील करता है । अहमद ने कहा कि गुज़श्ता माह सैक्रेटरी जनरल को सदर महमूद अब्बास की पेश करदा दरख़ास्त के बाद मशरिक़ वुसता लड़ाई की तारीख़ में एक फ़ैसलाकुन मोड़ आया है ।