फ़्रांसीसी पार्लीयामेंट की तरफ़ से आज फ़लस्तीनी ममुल्कत के हक़ में क़रारदाद मंज़ूर किए जाने के लिए वोटिंग की तैयारी है। क़रारदाद सोशलिस्ट पार्टी की तरफ़ से पार्लीयामेंट में पेश कर दी गई है। क़रारदाद की मंज़ूरी की सूरत में भी फ़्रांस के सिफ़ारती मौक़िफ़ और पॉलिसी में किसी फ़ौरी तबदीली का इमकान नहीं, क्योंकि ये कराराद महज़ अलामती नौईयत की होगी।
ताहम इस क़रारदाद की मंज़ूरी से मशरिक़े वुस्ता में अमन मसाई के मुअत्तल किए जाने और इसराईली हट धर्मी के बारे में पाए जाने वाले इज़तिराब का इज़हार ज़रूर होगा। स्वीडन और बर्तानिया के क़ानूनसाज़ों के बाद फ़्रांसीसी क़ानून साज़ों की तरफ़ से फ़लस्तीनी ममुल्कत के हक़ में ये क़रारदाद मग़रिबी दुनिया की एक मज़बूत आवाज़ साबित होगी।
वाज़ेह रहे बहुत से तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक फ़लस्तीनी ममुल्कत को तस्लीम करते हैं, लेकिन मग़रिबी यूरोप के मुल्क तस्लीम नहीं करते हैं। इन ममालिक का मौक़िफ़ इसराईल और अमरीका के इस मौक़िफ़ के हक़ में हैं कि फ़लस्तीनी ममुल्कत का वजूद मुज़ाकरात के ज़रीए मुम्किन बनाना चाहिए।
इस के बावजूद मग़रिबी ममालिक के अवाम में बेदारी बढ़ रही है और वो इसराईल की तरफ़ से फ़लस्तीनीयों के ख़िलाफ़ पॉलिसीयों और इक़दामात पर अब नाख़ुशी ज़ाहिर करते हैं।