फ़िर्क़ा परस्तों के चेहरों पर गैर मुस्लिम ख़ातून का तमांचा

तारीख़ी चारमीनार के करीब मंदिर की नाजायज़ तौसीअ(विसतार) के ज़रीया शरपसंदी फैला कर गंगा जमनी तहज़ीब की अलामत शहर हैदराबाद में पुरअमन माहौल को बिगाड़ने फ़िर्क़ा परस्तों की कोशिश नाकामी का मुँह देख रही है ।

आज जुमा के मौक़ा पर पुलिस ने सख़्त बंद-ओ-बस्त किया था । इंतिज़ामात इस क़दर सख़्त थे कि उस की माज़ी में नज़ीर नहीं मिलती । जहां मुस्लमानों ने नमाज़ जुमा सुकून से अदा की वहीं पुलिस मंदिर में पूजा के लिए जमा हुए लोगों पर भी कड़ी नज़र रखे हुई थी ।

मुस्लिम बुज़ुर्गान दीन से अक़ीदत रखने वाली एसी एक ख़ातून और उन के शौहर से हमारी मुलाक़ात चारमीनार के अंदरूनी हिस्सा में मौजूद हज़रत अबदुलक़ादिर जीलानी के छल्ला मुबारक के बाहर हुई ।

भारती नामी ख़ातून स्याह ने जो अपने शौहर और दो बच्चों के हमराह हैदराबाद आई थी चारमीनार मक्का मस्जिद-ओ-दीगर तारीख़ी इमारतों की ख़ूबसूरती उन के फ़नतामीर को देख कर हैरतज़दा रह गई । भारती ने चारमीनार में हज़रत पीरान पेरि के छल्ला मुबारक पर नज़राना गुल पेश करके दुआएं कीं ।

इस तरह भारती ने इन शरपसंदों के चेहरों पर ज़ोरदार तमांचा रसीद किया जो शहर में मज़हब के नाम पर गड़बड़ पैदा करने की कोशिशें कर रहे हैं ।

गुजरात की इस ख़ातून ने बसद ख़ुलूस एहतिराम छल्ला मुबारक पर हाज़िरी दे कर फ़िर्क़ा परस्तों को ये बता दिया कि उन की लाख कोशिशों के बावजूद वो अपने नापाक अज़ाइम में कामयाब नहीं होंगे और शिकस्त फ़िर्क़ा परस्तों का मुक़द्दर होगी ।

भारती जब छल्ला पर हाज़िरी दे कर निगरान छल्ला से दुआएं हासिल कर रही थी उस मंज़र को देख कर पुलिस अमला और आम लोगों में प्यार-ओ-मुहब्बत और क़ौमी यकजहती को मज़बूत-ओ-मुस्तहकम बनाने का एक नया जज़बा पैदा हुआ ।

एसा लग रहा था कि वहां मौजूद मुट्ठी भर फ़िर्क़ा परस्तों के चेहरों पर मायूसी के आलम में ख़ाक उड़ रही थी ।राक़िम उल-हरूफ़ ने भारती से बात की । भारती ने बताया कि वो अपने शौहर और बच्चों के हमराह हैदराबाद आई है ।

ख़ातून ने बताया हमारा अक़ीदा है कि हम पहले दरगाह पर हाज़िरी देते हैं और फिर मंदिर का रुख़ करते हैं । हम ने जब शहर के हालात पर इस्तिफ़सार (सवाल)किया तो भारती ने कहा कि लड़ाई झगड़े हमें पसंद नहीं सब का मालिक एक है ।

इंसानों को इंसानों से प्यार करना चाहीए तब ही इंसानियत बाक़ी रहती है। उन्हों ने ये भी बताया कि गुजरात में कई दर्गाहें है जहां बिला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत लोग हाज़िरी देते हैं ।

हैदराबाद के बारे में इस गुजराती ख़ातून ने कहा कि ये तारीख़ी शहर अमन-ओ-मुहब्बत और गंगा जमनी तहज़ीब और मेहमान नवाज़ी के लिए हिंदूस्तान में मशहूर हैं । तारीख़ी चारमीनार के करीब और दूर दूर तक पुलिस बंद-ओ-बस्त देख कर उन्हें हैरत हो रही है ।

दूसरी जानिब चारमीनार के करीब ही हमारी मुलाक़ात कुछ शहरियों से हुई जिन्हों ने बताया कि मुट्ठी भर अश्रार के बाइस शहर में रात में कर्फ्यू जैसा मंज़र नज़र आरहा है । लोग शादी ब्याह करने से घबरा रहे हैं ।

बच्चे स्कूल जाते हैं तो सरपरस्त उन की वापसी पर फ़िक्रमंद रहते हैं । ज़रूरत इस बात की है कि पुलिस अश्रार पर कड़ी नज़र रखे ।

चारमीनार के अंदर हज़रत पीरान पीरि के छल्ला मुबारक में मुस्लमानों की कसीर तादाद ने नज़राना सलाम पेश किया और बिला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत शीरीनी तक़सीम की गई ।

निगरान छल्ला सय्यद मेराज हुसैनी ने बताया कि पीरान पीरि के छल्ला मुबारक पर गैर मुस्लिम कसीर तादाद में हाज़िरी देते हैं ।